क्रीड़ा भारती के स्थापना दिवस पर हुआ संगोष्ठी का आयोजन
जयपुर, 12 अप्रैल। क्रीड़ा भारती के स्थापना दिवस पर सोमवार को एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी भारत में महिला खेल व खिलाड़ी – वर्तमान परिदृश्य विषय पर आयोजित की गयी। जिसमें वक्ताओं द्वारा विषय पर सारगर्भित चर्चा कर विषय का प्रस्तुतीकरण किया गया। कार्यक्रम की जानकारी व प्रस्तावना रखते हुए राजस्थान क्षेत्र के संयोजक मेघसिंह चौहान ने गोष्ठी व क्रीड़ा भारती का उद्देश्य बताया।
मुख्यवक्ता क्रीड़ा भारती के अखिल भारतीय संगठन महामंत्री प्रसाद महानकर ने उद्घाटन भाषण में कहा कि वर्तमान में महिला खेलों में आ रही समस्याओं व सम्भावनाओं दोनों को समझने की आवश्यकता है। हमारे देश में प्राचीन-काल से ही महिलाएं सभी क्षेत्रों में अग्रणी रही हैं।
मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान के संघ चालक डॉ. रमेश अग्रवाल ने कहा कि खेल आवश्यक हैं। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि गीता पढ़ने से पहले फुटबॉल खेलना आवश्यक है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि खेलों के लिए सरकार के साथ- साथ सामाजिक प्रयास भी आवश्यक हैं। खेल नीति बनाना आवश्यक है।
सेवा निवृत्त प्रोफेसर रीटा माथुर ने कहा कि हमारे देश में तो गार्गी व मैत्रेयी हुई हैं तो हम अब क्यों पिछड़ रहे हैं। खेल परिषद की पूर्व कोच सुश्री अमिता अधिकार ने स्वयं का उदाहरण बताते हुए महिला खिलाडियों की व्यथा के सबंध में बताया। उन्होंने कहा कि कोच की कमी व परिवार के सहयोग का अभाव एक बड़ी अड़चन है। इसके लिए सभी को आगे आकर सहयोग करना चाहिए।
कार्यक्रम में क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल सैनी ने नीरज चोपड़ा का उदाहरण देकर कहा कि खिलाड़ियों की डोर सरकार व समाज द्वारा पकड़ने की आवश्यकता है। अच्छे कोच, डाइट व शिक्षा से लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। महिलाएं कभी भी पीछे नहीं रहेंगी।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय खिलाड़ियों का सम्मान किया गया। गोष्ठी का संचालन कबड्डी खिलाड़ी राकेश शर्मा ने किया।