गंगा भारतवर्ष की जीवन धारा है – डॉ. भागवत
प्रयागराज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कल संगम तट पर मॉं गंगा का पूजन अर्चन-वंदन कर दीपदान किया। अपने संक्षिप्त उद्बोधन में उन्होंने कहा कि गंगा भारतवर्ष की जीवनधारा है। यह सनातन संस्कृति का जीवन प्रवाह है। गंगा की पवित्र अविरल धारा बहती रहेगी तो जीवन का प्रवाह भी चलता रहेगा। गंगा की धारा संपूर्ण जीवन धारा का प्रतीक है। गंगा की धारा हम सब के भौतिक जीवन को भी समुन्नत बनाती रहे, इसी भावना और विश्वास के साथ पूजन कार्य संपन्न किया गया है।
भारत माता की जय वंदे मातरम और जय श्री राम के नारों के बीच सरसंघचालक डॉ. भागवत प्रमुख पदाधिकारियों के साथ ठीक 7:00 बजे मंच पर पहुंचे। वहां पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी, जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद गिरी, गंगा समग्र के सचिव डॉ. आशीष गौतम, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल एवं काशी प्रांत के प्रांत संघचालक डॉ. विश्वनाथ लाल निगम पहले से ही उपस्थित थे।
सरसंघचालक के मस्तक पर तिलक लगाकर स्वागत किया गया। वेद पाठी ब्राह्मणों की टोली ने स्वस्तिवाचन तथा संकल्प कराया। षोडशोपचार पद्धति से वैदिक मंत्रों कि पवित्र ध्वनि के साथ भागीरथी नमोस्तुते मंत्र गूंजने लगा। इस अवसर के लिए विशेष रुप से तैयार किए गए मंच पर गंगा की अविरल धारा में डॉ. भागवत ने प्रमुख संतो एवं पदाधिकारियों के साथ पुष्प अक्षत समर्पित करने के बाद धूप दीप नैवेद्य से और श्रद्धा भाव से पूजन किया। उन्होंने मां गंगा को भक्ति भाव से दूध की धारा से अभिसिंचित किया। इसके पश्चात गंगा की आरती उतारी, फिर मंच से तट की ओर पहुंच कर गंगा की धारा में जलते हुए दिए प्रवाहित किये। भक्ति भाव से उन्होंने आरती ली, फल का प्रसाद लिया और चरणामृत का पान किया। गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मिथिलेश नारायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक रमेश, सह प्रांत कार्यवाह डॉ. राकेश सहित अन्य कार्यकर्ता थे।
गंगा समग्र के कार्यक्रम में देश के 6 प्रांतों से आए लगभग 600 कार्यकर्ता, नगर एवं जिले के संभ्रान्त नागरिक गण एवं मीडिया कर्मी उपस्थित रहे।