जनजाति समाज को मिलेगा वनों पर अधिकार, केंद्र सरकार ने की पहल

जनजाति समाज को मिलेगा वनों पर अधिकार, केंद्र सरकार ने की पहल

जनजाति समाज को मिलेगा वनों पर अधिकार, केंद्र सरकार ने की पहल

6 जुलाई। जनजाति समाज द्वारा वर्षों से की जा रही मांग पर आज केंद्र सरकार ने पहल कर जनजाति समाज को वनों पर अधिकार देने की दिशा में कदम उठाते हुए ग्राम सभा को प्रबंधन के अधिकार देने की घोषणा की है। केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा एवं केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के समक्ष इस मामले की गाइडलाइन जारी करते हुए दोनों मंत्रालयों के प्रमुख सचिवों के हस्ताक्षरों से एक सयुंक्त पत्रक जारी किया गया।

इस अवसर पर अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के प्रदेश महामंत्री गोपाल लाल कुमावत ने केंद्र सरकार एवं मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और अर्जुन मुंडा का अभिनंदन करते हुए कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम बरसों से इस मांग को लेकर प्रयासरत था। यह घोषणा विलंब से ही सही लेकिन सही दिशा में उठाई गई पहल है। उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि समय-समय पर किसी राज्य में इसके क्रियान्वयन के स्तर पर कोई समस्या निर्माण होती है तो दोनों मंत्रालय इसी तरह संयुक्त पत्रों के माध्यम से उस समस्या का समाधान करेंगे।

कुमावत ने कहा कि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कुछ माह पूर्व किए गए ट्वीट में कहा था कि आगामी दो वर्षों में सामुदायिक वनों पर अधिकार देने का कार्य एक अभियान चलाकर पूरा करेंगे। उन्होंने यह संकल्प आज पूरा कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस कानून का क्रियान्वयन करने का कार्य जनजाति विभाग का है जो इसका नोडल विभाग है। केंद्रीय जनजाति मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इस संबंध में समय-समय पर उचित मार्गदर्शन बिंदु भेजे जाते रहे हैं। किंतु अनेक राज्यों के मंत्रालयों के साथ तालमेल का अभाव होने के कारण आज भी जनजाति समाज वन संसाधनों से वंचित है। वन अधिकार कानून 2006 लागू होने के बाद भी जनजाति समाज को अपने परंपरागत वन क्षेत्र के पुननिर्माण, संरक्षण, संवर्धन एवं प्रबंधन के अधिकारों से वंचित रखा गया है। इसी कारण 2007 से लेकर अब तक इस सामुदायिक वन अधिकार का क्रियान्वयन 10 प्रतिशत भी नहीं हुआ।

कुमावत ने बताया कि महाराष्ट्र ओर ओडीसा जैसे कुछ राज्यों ने इस सामुदायिक वन अधिकार को देते हुए ग्राम सभाओं को सामुदायिक वन क्षेत्र की सूक्ष्म कार्य योजना बनाने हेतु वित्तीय सहयोग प्रदान किया है। साथ ही ग्राम सभाओं को सक्षम करते हुए सामुदायिक वन प्रबंधन का एक डिप्लोमा कोर्स भी प्रारंभ कर दिया है।

कुमावत ने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम देश के संपूर्ण जनजाति समाज को विशेषत: जनजाति समाज के जन प्रतिनिधियों, सामाजिक नेताओं और जनजाति समाज के शिक्षित युवाओं का आह्वान करता है कि वन क्षेत्र पर निर्भर जनजाति समाज के गांव, टोला, पाड़ा और बस्ती को एक करें और उनको ग्राम सभाओं के जरिए इस कानून के अंतर्गत सामुदायिक वन संसाधनों पर अधिकार प्राप्त करने हेतु उचित प्रक्रिया से अवगत करवाएं। गावों में जनजागरण और उन्हें संगठित कर वन संसाधनों का पुननिर्माण-संवर्धन करते हुए वनों की रक्षा करें। इससे वन पर्यावरण एवं जैव विविधता की भी रक्षा होगी एवं ग्रामीण जनाजातियों को उपलब्ध स्थानीय आजीविका भी सुरक्षित होगी जिससे पलायन रोका जा सकेगा।

गोपाल लाल कुमावत ने कहा कि हम राज्य सरकार से भी आह्वान करते हैं कि इस संयुक्त गाइडलाइन के अनुसार राज्य में भी वन एवं जनजाति विभाग मिलकर इस सामुदायिक वन संसाधनों के अधिकारों को प्रत्येक गांव एवं ग्राम सभा तक पहुंचाए। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि वह ग्राम सभा को मजबूत बनाते हुए उन्हें तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग दे ताकि देश के संपूर्ण जनजाति समाज को स्वावलंबी एवं स्वाभिमानी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से गांधीजी का ग्राम स्वराज का विचार, पंडित दीनदयाल उपाध्याय का अंत्योदय का सपना और प्रधानमंत्री मोदी का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प साकार हो सकेगा।

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