जबरन मतांतरण की घटना पर चुप्पी ने उठाए सवाल
जयपुर। राजस्थान के अलवर जिले के बड़ौदामेव थाना क्षेत्र स्थित गांव भयाड़ी के एक जाटव परिवार के हरियाणा में जबरन धर्म परिवर्तन कराने के मामले में स्थानीय प्रशासन, पुलिस और तथाकथित “लिबरल्स“ की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया तो पीड़ित परिवार को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी और कोर्ट में दायर इस्तगासे के बाद अब जा कर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। अब आरोपियों की गिरफ्तारी कब होगी और पीड़ित परिवार को न्याय कब मिलेगा यह कोई नहीं जानता। राजस्थान में प्रतिपक्ष में बैठी भाजपा इस पर जरूरी दबाव नहीं बना रही है और स्थानीय नेताओं ने गिरफ्तारी नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी देकर इति श्री कर ली, लेकिन घटना चूंकि हरियाणा में हुई थी और आरोपी मुस्लिम समुदाय से है, इसलिए अलवर पुलिस के लिए कार्रवाई करना आसान नहीं है। मीडिया में भी यह मामला अभी तक बहुत बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया है।
यह हुई थी घटना
अलवर के बड़ौदामेव के गांव भयाड़ी के रहने वाले मेमचंद जाटव ने अलवर एससी-एसटी कोर्ट में पिछले दिनों एक इस्तगासा पेश किया था। इसमें कहा गया था कि उसकी रिश्तेदारी हरियाणा के नूंह मेवात जिले के गांव इब्राहिम का बास तहसील फिरोजपुर झिरका में है। इस कारण इब्राहिम का बास के लोगों का उसके पास अक्सर आना-जाना रहा है। इसके चलते ही उसके इब्राहिम का बास के मुस्लिम मेव समुदाय के लोगों से दोस्ताना सम्बन्ध बन गए। इसी दौरान जब वह एक बार इब्राहिम का बास गांव गया तो वहां के निवासी सत्तार, तैयब, शहजाद, रत्ती खां, महबूब, हसन, रसीद, हाकम, शहिद, वहीद, शब्बीर, निज्जर, शम्मी, रजिया, सरूना ने उससे कहा कि यदि वह हिंदू से मुस्लिम बन जाए तो वह उसे रहने को जमीन देंगे। मतांतरण करने से मना करने पर इन लोगों ने उसकी पत्नी और बच्चों को बंधक बना लिया तथा मतांतरण नहीं करने पर परिवार को जान से मारने की धमकी दी। जिससे वह भयभीत हो गया और आरोपियों के कहे अनुसार 29 जनवरी 2018 को मुस्लिम मत अपनाकर नाम मोहम्मद अनस रख लिया।
आरोपियों ने सम्प्रदाय परिवर्तन के सम्बन्ध में उससे एक घोषणा पत्र भी स्टाम्प पर तहरीर कराया। जिसे वकील एडवोकेट खलील अहमद एवं नोटरी द्वारा तस्दीक किया गया। आरोपी रसीद पुत्र इब्राहिम ने एक शपथपत्र उसके हक में भूखण्ड के दान के सम्बन्ध में 28 नवम्बर 2018 तहरीर व तकमील किया।
ये लोग उसे जबरदस्ती जमात में ले गए और उसका खतना करवा दिया। इसके बाद उसे कई मस्जिदों में घुमाया गया और हज तक पर भेज दिया गया। इन लोगों ने उसे धमकी दी कि यदि भागने की कोशिश की या किसी को कुछ बताया तो उसके परिवार को मार देंगे। वह दान दिए भूखण्ड पर मकान बनाकर रहने लगा। इसी दौरान ये लोग उसकी पत्नी के साथ सम्बन्ध बनाने के लिए दबाव बनाने लगे और कहने लगे कि उसे मुसलमान तभी मानेंगे जब उसकी पत्नी उनके साथ सम्बंध बनाएगी। इसके बाद यह परिवार किसी तरह इब्राहिम का बास से भागकर अलवर आ गया। मेमचंद ने इस्तगासे में कहा है कि वह जबरन कबूल कराए मुस्लिम धर्म को त्याग चुका है तथा आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई चाहता है। उसका व उसके परिवार का जबरन मतांतरण कराने के सम्बन्ध में बड़ौदामेव थाने में रिपोर्ट दी गई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में एक रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक अलवर को भी दी गई, लेकिन वहां भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए एससी-एसटी कोर्ट में इस्तगासा पेश किया गया है। इस मामले में पीड़ित की ओर से पेश किए इस्तगासा पर एससी-एसटी कोर्ट अलवर के विशिष्ट न्यायाधीश बृजेश शर्मा ने जिला पुलिस को एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। पुलिस ने गुरुवार को मामला दर्ज किया है और कार्रवाई की प्रतीक्षा है। पीड़ित परिवार अपने गांव तो आ गया है, लेकिन उसे अभी भी जान का खतरा बना हुआ है। उधर पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद एसीपी रैंक की एक महिला अधिकारी को मामले की जांच सौंपी है। हालांकि जानकारों की मानें तो कार्रवाई आसान नहीं है, क्योंकि घटना अन्य प्रदेश में होने का बहाना अलवर पुलिस के पास है। इसके अतिरिक्त राजस्थान में धर्म परिवर्तन को लेकर कोई प्रभावी कानून भी नहीं है। यहां भाजपा सरकार के समय 2006 में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पारित किया गया था। लेकिन इसे अभी तक केन्द्र से स्वीकृति लाने का कार्य नहीं हो पाया है।
इस तरह की घटनाएं इलाके में आम हैं। राजस्थान में अलवर की रामगढ, लक्ष्मणगढ, किशनगढ़बास और तिजारा, भरतपुर के सीकरी और पहाड़ी तथा हरियाणा के नूंह और गुडगांव तक का फैला मेवात क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। यह क्षेत्र गो तस्करी के लिए कुख्यात है। पूरे क्षेत्र में आए दिन गोतस्करी की घटनाएं सामने आती हैं। पुलिस, गोरक्षकों और गोतस्करों के बीच फायरिंग की घटनाएं होती रहती हैं। इसी के साथ अब यह पूरा क्षेत्र मजहबी कट्टरवाद के लिए भी जाना जाने लगा है। इस क्षेत्र के अधिकांश गांवों में हिन्दुओं की जनसंख्या बहुत कम है। पूरे क्षेत्र में डरा धमका कर या लालच देकर मतातंरण कराए जाने की घटनाएं आए दिन होती हैं, हालांकि डर के चलते इनमें से ज्यादातर घटनाएं सामने नहीं आ पाती हैं। लोग अपना गांव या काम धंधा छोड़ना नहीं चाहते, इसलिए मतांतरण स्वीकार कर लेते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मेव समुदाय ज्यादातर अनुसूचित परिवारों को अपना निशाना बनाते हैं और जमीन या पैसे का लालच दे कर या डरा धमका कर मतांतरण के लिए मजबूर करते हैं।
इसी वर्ष जून में इसी मेव बहुल इलाके की रामगढ़ तहसील में एक हिन्दू लड़की को जबरन परेशान किए जाने का मामला सामने आया था। लडकी ने कुएं में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। इस मामले में भी पुलिस ने आसानी से रिपोर्ट दर्ज नहीं की और समझौते के लिए दबाव बनाती रही। बाद में रिपोर्ट दर्ज हुई और आरोपी गिरफ्तार भी किए, लेकिन जिस दिन पिता के कोर्ट में बयान होने थे, उसी दिन सुबह पिता की लाश घर से कुछ दूरी पर पेड़ से लटकी मिली थी। लड़की और उसका भाई आज भी परिस्थितियों से संघर्ष कर रहे हैं। यह इलाका अवैध हथियारों के लिए भी जाना जाने लगा है। पुलिस ऐसे कई मामले पकड़ चुकी है। कुछ दिन पहले ही मालाखेड़ा के एक गांव में पुलिस ने 45 अवैध हथियार पकड़े हैं। लेकिन कुछ हुआ नहीं है। हाल ही में घटी घटना को लेकर कांग्रेस नेताओं के कोई बयान सामने नहीं आए हैं। वहीं तथाकथित लेफ्ट लिबरल जन संगठन भी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं और यह घटना भी इन संगठनों के “सलेक्टिव एक्टिविज्म“ का उदाहरण बन गई है।