यू थिंक ने हिन्दू तिथि के अनुसार मनाया जयपुर स्थापना दिवस, स्थापना पर हुआ था पृथ्वी का आखिरी अश्वमेध यज्ञ
यू थिंक ने हिन्दू तिथि के अनुसार मनाया जयपुर स्थापना दिवस, स्थापना पर हुआ था पृथ्वी का आखिरी अश्वमेध यज्ञ
जयपुर, 8 दिसंबर। शनिवार को विचारक समूह यू थिंक द्वारा हिन्दू तिथि के अनुसार जयपुर स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में जैपुर री बात टॉक शो का आयोजन किया गया। कार्यक्रम किशनपोल बाजार के विरासत संग्रहालय में आयोजित हुआ, जिसमें चर्चा विशेषज्ञ के रूप में ब्लू पॉटरी के जाने माने हस्तशिल्प शिल्प गुरु गोपाल सैनी व इतिहासकार सियाशरण लश्करी ने भाग लिया। टॉक शो के मॉडरेटर विनीश अग्रवाल रहे।
चर्चा के दौरान इतिहासकार व पुरातत्वविद् सियाशरण लश्करी ने बताया कि जयपुर की कल्पना 450 वर्षों पहले ही कर ली गई थी। लेकिन इसकी स्थापना 297 वर्ष पहले मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष, षष्ठी को हिन्दू पंचांग के अनुसार मुहूर्त देखकर की गई थी। उन्होंने कहा, जयपुर के राजा ने उज्जैन, दिल्ली, मथुरा और बनारस में जंतर मंतर बनाए। जयपुर की स्थापना पर अश्वमेध यज्ञ करवाया, जो पृथ्वी का आखिरी अश्वमेध यज्ञ था। जयपुर भक्ति की नगरी है। जयपुर के महाराजाओं ने मुगलों के आक्रमण के समय मथुरा, वृंदावन से मूर्तियां सुरक्षित कीं व यहां मंदिर बनवाए। शिक्षा के क्षेत्र में जयपुर शुरू से ही अव्वल रहा है।
इस दौरान इतिहासकार सियाशरण लश्करी ने कुछ रोचक किस्से भी साझा किए। नागरिक कर्तव्य व प्रशासनिक कर्तव्यों की बात करते हुए उन्होंने बताया कि जयपुर में पेयजल के लिए द्रव्यवती व इससे निकलने वाली नहर पानी का मुख्य स्रोत थे। द्रव्यवती नदी आज लापरवाही के चलते अमानीशाह नाले में बदल गई है। पुराने शहर में हर दो रास्ते छोड़कर पानी के लिए पोखर बने थे। किसी भी प्रकार से जल व्यर्थ करने पर कड़ी सजा का प्रावधान था। जयपुर परकोटे के चारों ओर बने हुए गेट भी कई ऐतिहासिक कहानी समेटे हुए हैं। सांगानेरी गेट पहले शिवपोल कहलाता था। जयपुर के महाराजाओं ने धर्म की रक्षा के लिए मुग़लों से भी चतुराई से लोहा लिया। जयपुर जागीर की बात करते हुए उन्होंने बताया कि दिल्ली, आगरा, मथुरा आसपास के सभी स्थान जयपुर की ही जागीरी में आते थे। जौहरी बाजार सबसे बड़ी जेमस्टोन इंडस्ट्री, एमआई रोड सुनियोजित कॉमर्स इंडस्ट्री के रूप में विकसित था। आर्ट एंड कल्चर में जयपुर हमेशा अग्रणी रहा है। जयपुर एकमात्र ऐसा शहर है, जहां लैपर्ड सफारी के साथ लायन सफारी और टाइगर सफारी भी हैं।
गोपाल सैनी ने ब्लू पॉटरी पर बात करते हुए कहा कि मनुष्य ने सभ्यता की ओर जिस दिन कदम रखा, तभी पॉटरी का विकास शुरू हो गया और आज दिखने वाली पॉटरी हजारों वर्षों का परिणाम है। ब्लू पॉटरी विश्व की चुनी हुई पॉटरी कला है, जो परशिया से आई। पॉटरी सिलिका से बनती है। जयपुर राजघराना और यहां के लोग शुरू से कला प्रेमी रहे हैं। सवाई रामसिंह द्वितीय द्वारा इस कला को और अधिक प्रोत्साहन मिला। उन्होंने कलाकारों को व्यवस्थित बसाया, जैसे ठठेरों का रास्ता, मीनाकारों का रास्ता, मनिहारों का रास्ता, शिकारियों का मोहल्ला।
कार्यक्रम के अंत में श्रोताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समाधान विशेषज्ञों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में सियाशरण जी द्वारा सुरक्षित अभूतपूर्व एवं बहुमूल्य पुस्तकों, फोटो पोस्टर आदि की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें रोशनी में लॉटरी टिकट, किस्मत का थैला, पाठ्य पुस्तक, हाथ से बना हुआ जयपुर राजघराने का स्मारक आदि शामिल थे।