तेजी से बढ़ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग

तेजी से बढ़ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग

अमित बैजनाथ गर्ग

तेजी से बढ़ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोगतेजी से बढ़ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक बार फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि एआई के क्षेत्र में देश तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। एआई के क्षेत्र में युवा तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और नई ऊंचाइयां छू रहे हैं। उन्होंने पेरिस के दौरे का उल्लेख करते हुए कहा कि मैं एआई के सम्मेलन में भाग लेने के लिए वहां गया था। इस दौरान दुनिया ने इस सेक्टर में भारत की प्रगति की जमकर सराहना की। असल में एआई को लेकर कहा जा रहा है कि इससे नौकरियां समाप्त होंगी, लेकिन यह पूरा सच नहीं है। यह बात कुछ सीमा तक ही ठीक है। कुछ क्षेत्रों में ऐसा हो सकता है लेकिन काफी कम संख्या में। इसके उलट एआई से कई सेक्टरों में नई नौकरियां पैदा होंगी। कई सेक्टरों में काम करने का तरीका बदलेगा, तो वहीं लोगों को तकनीक के मामले में अधिक दक्ष भी होना पड़ेगा।

एआई का अर्थ है मशीन या कंप्यूटर को इंटेलिजेंट (बुद्धिमान) बनाना। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसके महत्व को 1970 के दशक में पहचान मिली। सबसे पहले जापान ने इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जेनरेशन नामक योजना की शुरुआत की गई। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिए दस वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी। इसके बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिए एल्वी नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया। यूरोपीय संघ के देशों ने भी एस्प्रिट नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद 1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों का विकास करने के लिए एक संघ की स्थापना की। हाल ही में एक्सेंचर ने एआई रिसर्च रिपोर्ट में जी-20 के कुछ देशों के लिए एआई के आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए एक ढांचा प्रदान कर एआई के माध्यम से भारत की वार्षिक वृद्धि दर को 2035 तक 1.3 प्रतिशत अंक तक बढ़ने का अनुमान लगाया है।

हाल के दिनों में एआई का प्रयोग बढ़ा है। कहा जा रहा है कि भविष्य में इसके द्वारा उन सभी कार्यों को किया जा सकेगा, जो एक इंसान करता है। इसके माध्यम से कंप्यूटर या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है, जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि एआई से हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में व्यापक बदलाव आएगा। रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों से उत्पादन और निर्माण के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेंगे। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में बताया गया है कि केवल अमेरिका में अगले दो दशकों में डेढ़ लाख रोजगार समाप्त हो सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त मशीनों के जितने लाभ हैं, उतने ही खतरे भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें, तो मानवता के लिए खतरा पैदा हो सकता है। सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति की कल्पना हॉलीवुड की मशहूर फिल्म टर्मिनेटर में की गई है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक वृद्धिशील मूल्य प्रदान करने की क्षमता है और इसमें प्रतिस्पर्धी लाभ प्राप्त होने की संभावना है। एआई का प्रयोग होने के बाद यह समझना बहुत आसान हो जाएगा कि किसी कार्य क्षेत्र में बुद्धिमान मशीनों का कुशलता से उपयोग किया जा सकता है। इससे सफलता प्राप्त करना भी आसान होता चला जाएगा। दरअसल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक जटिल विषय है। अतः सबसे पहले इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभावों के संबंध में एक गंभीर अध्ययन करना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर सरकार को सतर्क रहना होगा। मशीनीकरण के माध्यम से आए परिवर्तनों से सर्वाधिक प्रभावित वे समूह होते हैं, जो अपनी कौशल क्षमता में निश्चित समय-सीमा के भीतर वांछनीय सुधार लाने में असमर्थ होते हैं। अतः सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को पर्याप्त प्रशिक्षण देने के लिए समय के साथ-साथ संसाधन भी उपलब्ध कराए। तकनीकों के इस बदलते दौर में आवश्यकता इस बात की है कि विशेषज्ञ पूर्ण कार्यों के लिए लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाए और इसके लिए अवसंरचना का भी विकास किया जाए।

कुछ विषय विशेषज्ञों का कहना है कि एआई का उदय नई नौकरी की भूमिकाएं भी पैदा कर रहा है, जैसे कि स्वास्थ्य सेवा में स्वास्थ्य डाटा पेशेवर और कृषि में कृषि प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ। ये उभरती हुई भूमिकाएं दर्शाती हैं कि कैसे एआई क्षेत्रों को बदल रहा है और गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में पेशेवरों के लिए अवसर पैदा कर रहा है। इसके अलावा एआई संचालित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म छोटे व्यवसायों को वैश्विक बाजारों तक पहुंचाने और अपनी पहुंच का विस्तार करने में सक्षम बना रहे हैं। उनका मानना है कि प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए लीडर अपने कर्मचारियों को एआई तकनीकों में कुशल बनाने, कौशल अंतर को कम करने और अपने संगठनों को भविष्य की सफलता के लिए तैयार करने में निवेश कर रहे हैं। व्यवसायों को बदलने की एआई की क्षमता उन प्रयासों में स्पष्ट है, जो कंपनियां अपने संचालन में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए कर रही हैं। निरंतर सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने से लेकर चुस्त टीमों को विकसित करने तक के लिए व्यवसाय एआई-संचालित कार्य के भविष्य की तैयारी कर रहे हैं।

जहां तक भारत की बात है, तो हाल ही में पेरिस में आयोजित एआई एक्शन समिट में प्रधानमंत्री मोदी के अभिभाषण के बाद लोक कल्याण और राष्ट्रीय विकास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उन्नयन करने में भारत की प्रगति ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। भारत नीतिपरक एआई प्रथाओं को बढ़ावा देने, आधारभूत मॉडल विकसित करने और डाटा एक्सेस में सुधार करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। एआई में इसके प्रयासों को प्रौद्योगिकी में वैश्विक सहयोग और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत 10,372 करोड़ रुपए के बजट के साथ एआई मिशन के माध्यम से अपने एआई इको सिस्टम का विकास कर रहा है। इस मिशन के अंतर्गत एआई विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सात प्रमुख स्तंभों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट्स तक पहुंच में सुधार, एआई-रेडी डाटा सेट विकसित करना और एआई एप्लिकेशन विकास का समर्थन करना शामिल है। भारत एआई मिशन के अंतर्गत डाटा लैब स्थापित कर कुशल कार्यबल का निर्माण करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। इससे संबंधित नौकरियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से युवाओं को डाटा वैज्ञानिक और इनोवेटर के रूप में प्रशिक्षित किया जा सकेगा।

वैश्विक जेनरेटिव एआई बाजार में आने वाले वर्षों में व्यापक वृद्धि का अनुमान है, जहां वर्ष 2021 से 2028 तक 45 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की जा सकती है। गिटहब की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में अधिकांश डवलपर्स ने एआई कोडिंग टूल को अपना लिया है और उन्हें पेशेवर एवं व्यक्तिगत, दोनों रूपों में अपने कार्यों में एकीकृत किया है। अमेरिका में कार्यरत 92 प्रतिशत प्रोग्रामर्स अब अपनी कोडिंग क्षमताओं की पूरकता के लिए एआई का लाभ उठा रहे हैं। असल में देश में अब एक स्पष्ट परिभाषित राष्ट्रीय एआई रणनीति का विकास करना बहुत जरूरी है। इसमें सरकारी एजेंसियों, उद्योग प्रतिनिधियों, शोधकर्ताओं और नैतिकतावादियों सहित विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाना शामिल है। इस रणनीति में एआई विकास, नैतिक दिशा-निर्देशों, नियामक ढांचे और उत्तरदायित्वपूर्ण तैनाती के लिए देश के लक्ष्य स्पष्ट किए जाने की दरकार है। इसे संभावित जोखिमों (जैसे पूर्वाग्रह एवं गोपनीयता संबंधी चिंताओं) और उन्हें संबोधित करने के तरीके पर भी विचार करना होगा। थिंक टैंक और अनुसंधान संस्थान नवाचार को बढ़ावा देने तथा एआई प्रतिभा का पोषण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सरकार के साथ निजी क्षेत्रों को भी इस दिशा में ध्यान देने और सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की आवश्यकता है। जल्द कदम बढ़ाने से जल्द सफलता प्राप्त की जा सकेगी।

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