भारत के स्व का केन्द्र बनेगा पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक
- राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा कराया गया था निर्माण
जयपुर। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, वरिष्ठ चिंतक और जनसंघ के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय मानते थे कि “भारत के स्व का साक्षात्कार किए बिना हम अपनी समस्याओं को नहीं सुलझा सकते। राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर से 20 किलोमीटर दूर धानक्या गांव में उनकी स्मृति में बनाया गया पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक जल्द ही भारत के इस स्व का केन्द्र बनेगा। इस स्व का साक्षात्कार यहां शोधकर्म के जरिए भी होगा और केन्द्र के आसपास के ग्रामीण समाज को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षिण भी दिया जाएगा। इस महती परियोजना को साकार करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय समारोह समिति जुटी हुई है।
एकात्मक मानवदर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय मानते थे कि तृतीय विश्व के देशों के विकास के लिए ग्रामोन्मुखी लघु उद्योग वाली विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था उपयोगी है और स्वदेशी की भावना को हमें अपने मन में बैठाना होगा। दीनदयाल जी जैसे व्यक्तित्व के विचार सिर्फ पुस्तकों तक सीमित ना रहें, बल्कि उनका लाभ साधारण से साधारण व्यक्ति को भी मिले यह आवश्यक है। वर्ष 2018 में निर्मित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक इसी उद्देश्य के साथ अस्तित्व में आया था। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए धीरे-धीरे, लेकिन दृढ़ कदम बढ़ाए जा रहे हैं। कोविड जैसी वैश्विक महामारी नहीं होती तो संभवत: ये कदम और तेजी से बढ़ पाते, लेकिन कार्य जारी है और जल्द ही यह केन्द्र उपाध्याय जी के विचारों और भावनाओं का वास्तविक कार्यस्थल बन कर सामने आएगा।
स्वरोजगार, कौशल प्रशिक्षण के जरिए स्व से साक्षात्कार- पंडित दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार स्वरोजगार, कुटीर उद्योग और स्थानीयता को प्रोत्साहित करने से जुड़े थे।
जिसे प्रधानमंत्री आज लोकल फोर वोकल कह रहे हैं।
यह राष्ट्रीय स्मारक पूरे देश में इन विचारों को लागू करने का बड़ा केन्द्र बनेगा। समारोह समिति के अध्यक्ष मोहनलाल छीपा ने बताया कि राजस्थान में दीनदयाल जी जहां- जहां रहे जैसे गंगापुरसिटी, सीकर, राजगढ़, पिलानी आदि स्थानों पर दीनदयाल जी के आर्थिक विचारों को धरातल पर लाने के लिए अलग-अलग प्रकार के काम हाथ में लिए जाएंगे। इनमें कुटीर उद्योगों के जरिए स्वरोजगार और स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए कौशल प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने की योजना है। इसका एक बड़ा केन्द्र धानक्या में रहेगा। जहां आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के किसान, युवाओं और विशेषकर महिलाओं को प्रशिक्षित करने का काम किया जाएगा। इसके द्वारा लोगों तक दीनदयाल जी के विचार पहुंचाने का प्रयास होगा। इसके अलावा हम एक दीनदयाल विचार परिवार भी बना रहे हैं। इसमें विश्व में कहीं भी दीनदयालजी के नाम से जो भी संस्था चल रही है, उसे जोड़ा जाएगा और यह देखा जाएगा कि वह संस्था दीनदयाल जी के विचारों पर किस तरह काम कर रही है। वहीं देश के जिन विश्वविद्यालयों में दीनदयाल शोध पीठ संचालित हैं, उनके समन्वय का कार्य भी यहां से किया जाएगा।
शोध के जरिए स्व का साक्षात्कार
पंडित दीनदयाल उपाध्याय इतनी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के लिए गहन शोध की जरूरत है। दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक में बना पुस्तकालय इसी आवश्यकता को पूरा करेगा। समारोह समिति के सह सचिव नीरज कुमावत बताते हैं कि पुस्तकालय में दीनदयालजी, स्वामी विवेकानन्द , महात्मा गांधी और भारत की अन्य विभूतियों तथा राष्ट्रीयता के विचारों से ओतप्रोत साहित्य, पुस्तकें और अन्य सामग्री अच्छी संख्या में उपलब्ध है। अब हम इसे एक शोध केन्द्र के रूप में विकसित कर रहे हैं। यह शोध केन्द्र शोध की सभी आधुनिक आवश्यकताओं को पूरा करेगा और हमारा प्रयास रहेगा कि देश विदेश में जो भी व्यक्ति पंडित दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व, कृतित्व के बारे में शोध करना चाहे, उसे यहां हर तरह की सामग्री मिल सके। उन्हें यहां बुलाया जाए और आगे अधिक गहन शोध कराया जाए।
स्मारक का परिचय
जयपुर से 20 किलोमीटर दूर धानक्या रेलवे स्टेशन के पास बने इस सुंदर और सुरम्य दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण प्रदेश में पिछली भाजपा सरकार के समय राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा कराया गया था। इसी जगह स्मारक बनाने के पीछे भी एक विशिष्ट कारण है। ऐसा माना जाता है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का बचपन धानक्या रेलवे स्टेशन के रेलवे क्वार्टर में हुआ था। धानक्या रेलवे स्टेशन पर उनके नानाजी स्टेशन मास्टर के पद पर कार्यरत थे। इसी के चलते पंडित दीनदयाल उपाध्याय के प्रशंसकों तथा धानक्या गाँव की जनता ने काफी समय से यहां पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय भव्य स्मारक बनाने की मांग कर रहे थे। प्राधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने बताया कि दीनदयाल जी के जन्म से लेकर उनके जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा राजस्थान में बीता है। राजस्थान से उनका गहरा नाता रहा है। जब तक यह स्मारक नहीं था तो बहुत बड़ी कमी महसूस होती थी। इस कमी को पूरा करने के लिए इस राष्ट्रीय स्मारक के निर्माण का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समक्ष रखा तो उन्होंने तुरंत सहमति दी पांच करोड रूपए स्वीकृत कर दिए। काम शुरू हो गया। विधायक कोष से भी मदद मिली और हम स्वयं को भाग्यशाली समझते हैं कि दीनदयाल जी जैसे व्यक्तित्व का स्मारक हम बनवा पाए।
इस स्मारक के लिए धानक्या रेलवे स्टेशन के पास 4500 वर्ग मीटर भूमि जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए)ने दी और रेलवे के 11 क्वार्टर 4500 वर्ग मीटर भूमि सहित प्राप्त किए गए। भूमि पर लगभग सवा सात करोड़ रुपए की लागत से पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक निर्माण किया गया। स्मारक में दीनदयाल जी उपाध्याय की अष्टधातु की 15 फीट ऊंची आदमकद प्रतिमा स्थापित है। वहीं 60 फीट ऊंचा, 4 तला स्मारक बनाया गया है। स्माकर में दीनदयाल जी की मूर्ति के अतिरिक्त उनके जीवन से जुड़ी सभी घटनाओं को भित्ति चित्रों और 3डी , 2डी और प्रिंट मीडिया में प्रदर्शित किया गया है। उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं,जनसभाओं व समाज के वरिष्ठ व प्रबुद्धजनों से भेंट को भी यहाँ दर्शाया गया है।