देहदान महादान, स्वयंसेवक चिरंजीत धीवर ने किया देहदान का फैसला
कहते हैं देहदान से बड़ा कोई दान नहीं। अभी तक हम मरणोपरांत देहदान के उदाहरण सुनते आए हैं। लेकिन कोविड महामारी के दौर में जब दुनिया में लाखों लोग मर रहे हैं, वैज्ञानिक दवा व टीका बनाने में लगे हैं, उन्हें इनके ट्रायल के लिए जीवित मानव शरीर की आवश्यकता है। ऐसे में मानव जाति के कल्याण व सेवा की भावना के साथ संघ के स्वयंसेवक चिरंजीत धीवर ने देहदान का फैसला किया है।
उन्होंने अप्रैल में आईसीएमआर को एक अनुरोध भेजा था, जिसमें कहा था कि मैं वैक्सीन के लिए क्लीनिकल ट्रायल के लिए तैयार हूं। अब इस हेतु उनका चयन कर लिया गया है। ट्रायल के दौरान व्यक्ति के जीवन को अनेक प्रकार के खतरे हो सकते हैं। लेकिन जिसके रक्त में तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित जैसे गीतों, भावनाओं और संघ संस्कारों के टीके पहले ही लगे हों, उनके लिए जब देश सेवा की बात आती है तो ऐसे खतरे गौण हो जाते हैं।
चिरंजीत पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक विद्यालय में शिक्षक व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता हैं। उनका कहना है कि परीक्षण इंसान पर ही होना है, किसी न किसी को आगे आना ही होता, फिर मैं क्यों नहीं? यह तो मानव जाति और देश की सेवा के लिए एक प्रयास है। मैं संघ से प्रेरित होकर मानव सेवा के लिए आगे आया हूं। मुझे कोई तनाव नहीं है। मैं इसके लिए तैयार हूं।
चिरंजीत के पिता तपन धीवर ने कहा- मुझे विश्वास है कि कोरोना का टीका मिल जाएगा और जो काम मेरा बेटा कर रहा है, उसके लिए सब उसकी प्रशंसा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि आईसीएमआर और भारत बायोटेक मिलकर कोरोना की दवा बना रहे हैं। 07 जुलाई (मंगलवार) से मानव शरीर पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू किए गए हैं। चिरंजीत को आईसीएमआर के भुवनेश्वर या पटना सेंटर पर परीक्षण के लिए बुलाया जाएगा।