धारा 370 और अनुच्छेद 35A की राख पर राजनीति (व्यंग्य रचना)
शुभम वैष्णव
पिछले वर्ष ही कश्मीर में धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए दोनों का ही अंतिम संस्कार हो चुका है फिर भी कुछ लोग धारा 370 की राख को अपने शरीर पर लपेटकर रुदन करने का ढोंग कर रहे हैं और चीन एवं पाकिस्तान से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
भारतीय राजनीति में कई दलों के नेताओं के साथ साथ अब्दुल्ला और मुफ्ती दोनों ही कश्मीर से धारा 370 एवं अनुच्छेद 35A की मुक्ति को सहन नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए कभी चीन को याद कर रहे हैं तो कभी भारतीय तिरंगे को नहीं छूने का संकल्प ले रहे हैं।
जनता भी देख रही है कि किस तरह कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए धारा 370 की राख पर राजनीति कर रहे हैं अब बस यह देखना बाकी है कि ये लोग किस तरह और कैसे राख के ढेर में बैठकर भारत के अभिन्न अंग कश्मीर की साख को गिराने का खेल खेलते हैं। कश्मीर विकास के पथ पर बढ़ना चाहता है। परंतु कुछ लोग सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं एवं अपने परिवार के विकास के बारे मे ही सोचते हैं। तभी तो केंद्र की भरपूर मदद के बाद भी कश्मीर आज तक पिछड़ा हुआ है और इसे पीछे ले जाने में कई मौकापरस्त एवं पाकिस्तान समर्थित नेताओं का हाथ है।
अब समय दुश्मन की आंख में आंख मिला कर बात करने का है एवं दुश्मन के नापाक इरादों को राख में मिलाने का है। वैसे भी ये लोग किन हाथों से तिरंगा उठाएंगे? उन हाथों से जिन्होंने आज तक सिर्फ और सिर्फ तिरंगे का अपमान किया है? तिरंगा उठाने के लिए करोड़ों भारतीय हैं जो सदैव इस देश के साथ खड़े हैं और हमेशा खड़े रहेंगे। वैसे भी भारतीय सेना पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों एवं पाकिस्तानी हुकूमत के मंसूबों दोनों को ही राख में मिला रही है।