नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में अध्ययन के प्रावधान से सिन्धी भाषा को मिलेगा प्रोत्साहन : कैलाशचंद्र
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सिन्धु सभा द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय डिजिटल प्रतियोगिता के परिणाम घोषित
जयपुर, 11 अगस्त। भारतीय सिन्धु सभा के मार्गदर्शक कैलाशचंद्र शर्मा ने कहा कि मातृभाषा सिन्धी के ज्ञान के साथ इतिहास की पूर्ण जानकारी के लिये डिजिटल प्रतियोगिता का सफल आयोजन कर युवा पीढ़ी को संस्कारों से जोड़ने का कार्य भारतीय सिन्धु सभा ने किया गया है, इसे अनवरत जारी रखते हुए अधिकतम प्रयास करने चाहिए। उन्होंने यह बात रविवार को सिन्धु सभा द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय डिजिटल प्रतियोगिता के लॉटरी से परिणाम घोषणा कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत मातृभाषा में अध्ययन कराने के प्रावधान से सिन्धी भाषा को बढ़ावा मिलेगा। सिन्धु सभा बाल संस्कार शिविरों के माध्यम से यह कार्य प्रतिवर्ष कर भी रही है।
प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल वाधवाणी ने बताया कि 14 अगस्त को आयोजित होने वाले सिन्ध स्मृति दिवस पर प्रदेश स्तरीय व जिला स्तरीय विजेताओं का सम्मान कर प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी। राज्य स्तरीय तीन विजेताओं को शाॅल, स्मृति चिन्ह के साथ राशि 2100, 1100 व 501 नकद राशि व जिला स्तरीय तीन तीन पुरस्कार भी लॉटरी से दिये जायेंगे।
प्रतियोगिता संयोजक व प्रदेश भाषा साहित्य मंत्री डाॅ. प्रदीप गेहाणी ने बताया कि प्रतियोगिता के प्रथम पुरस्कार स्वरूप गेहीमल बजाज हनुमानगढ़, द्वितीय अशोक कुमार किशनाणी जयपुर व तृतीय पुरस्कार के लिए सूरज मिठिया के नाम घोषित किये गये। इनके अतिरिक्त 48 जिला स्तरीय पुरस्कारों की घोषणा भी की गई।
प्रदेश संगठन महामंत्री डाॅ. कैलाश शिवलाणी ने बताया कि संविधान की आठवीं अनुसूची में सिन्धी भाषा की मान्यता दिवस 10 अप्रैल व चेटीचण्ड से सम्बंधित आलेख जो गोविन्दराम माया द्वारा लिखित है। राज्य के विभिन्न संगठनों के व्हाट्सअप ग्रुपों के माध्यम से राज्यभर में 596 परिवारों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता को सफल बनाने के लिये पूर्व कुलपति मनोहरलाल कलरा, सुरेश कटारिया, लेखराज माधू, राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी समेत प्रदेशभर के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी निभाई।
प्रदेश महामंत्री दीपेश सामनाणी ने बताया कि घरों पर रहकर इस प्रतियोगिता में भागीदारी सुनश्चित की गई। इसमें सिन्धु सभा की 90 ईकाइयों की ओर से राज्य के सभी जिलों में प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में कमल राजवाणी, रमेश खत्री, चन्दन प्रकाश, हीरालाल, जयप्रकाश नारायण परनामी उपस्थित थे।