नमन झांसी की रानी

नमन झांसी की रानी

भानुजा श्रुति

नमन झांसी की रानीनमन झांसी की रानी (जयंती 19 नवम्बर)

है जन जन ने गाई जो उनकी कहानी
हृदय में हैं शोले और आंखों में पानी।

था भारत को जकड़ा विदेशी भ्रमर ने
हुआ द्वन्द्व तगड़ा स्वदेशी समर में।

फड़कती थीं बाहें जो तलवार तानी
सुंदर छबीली वो थी एक रानी।

सुगठित सुसज्जित इक सेना बनाई
लड़ेंगे सब मिलकर ये आवाज आई।

फिरंगी के गढ़ में थी बंदूक तानी
नमन तुमको करते ओ वीरों की रानी।

बनकर के दुर्गा रणभूमि में आई
स्वतंत्रता की अलख थी जगाई।

छोड़ा सिंहासन मातृभूमि थी पूजी
मृत्यु वरण कर संजोई थी पूंजी।

है गाथा तुम्हारी भारत की कहानी
नमन तुमको करते ओ झांसी की रानी।

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