नायकों और लोक देवताओं को जाति के आधार पर न बांटें- निम्बाराम
नायकों और लोक देवताओं को जाति के आधार पर न बांटें- निम्बाराम
अजमेर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने हिन्दुओं का आह्वान करते हुए कहा, सभी संगठित रहें। वर्षों की गुलामी के बाद अब अमृतकाल का वह समय आया है, जब हम सकारात्मक चिंतन करते हुए अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें तथा अपनी संस्कृति व पर्यावरण को बचाने का हर संभव प्रयास करें। निम्बाराम रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अजयमेरु महानगर और श्री माधव स्मृति सेवा प्रन्यास अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर के सभागार में आयोजित एक प्रबुद्धजन गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी के दौरान सभागार खचाखच भरा हुआ था, बाद में अतिरिक्त कुर्सियां लगानी पड़ीं। लोग पिन ड्रॉप साइलेंस के बीच लगभग सवा घंटे तक उन्हें एकाग्र चित्त और मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहे।
गोष्ठी में मुख्यवक्ता के रूप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुओं को संगठित रहना होगा तथा जातिगत भेदभाव से दूर रहकर समाज में समरसता पैदा करनी होगी। उन्होंने छुआछूत को अवैज्ञानिक बताया। उन्होंने कहा, सनातन धर्म भारत की आत्मा और संस्कृति की आधारशिला है। यह कोई सीमित कालखंड में उत्पन्न दर्शन नहीं, बल्कि शाश्वत सत्य है, जो हजारों वर्षों से भारत की आत्मा बना हुआ है। सनातन धर्म में समरसता, सहिष्णुता, प्रकृति प्रेम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अद्भुत समावेश है। भारतीय संस्कृति में नदियों, वृक्षों, पशु-पक्षियों और संपूर्ण सृष्टि को पूज्य माना गया है। हमारी संस्कृति सामाजिक समरसता पर आधारित है। यह समाज को जोड़ने वाली है।
क्षेत्र प्रचारक ने कहा, हमें इतिहास के नायकों और लोक देवताओं को जाति के आधार पर नहीं बांटना चाहिए। इन्हें जाति या संप्रदाय के आधार पर विभाजित करना हमारे इतिहास के प्रति अन्याय होगा। अंग्रेजों और अन्य विदेशी आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति पर आक्रमण का षड्यंत्र किया। हमारी संस्कृति, भाषा, धर्म और परंपराओं को नष्ट करने का हर संभव प्रयास किया। अंग्रेजों ने हमारी गुरुकुल शिक्षा पद्धति को समाप्त कर दिया। हमारे मूल ग्रंथों को गलत व्याख्याओं से दूषित किया और हमारी परंपराओं को पिछड़ा बताने की साजिश रची।
उन्होंने कहा, सनातन का विचार ही भारत का विचार है। इसलिए सनातन पर आक्रमण राष्ट्र पर आक्रमण है और राष्ट्र पर आक्रमण सनातन पर आक्रमण है। सनातन शाश्वत है, अजेय है। सभ्यताएं बदलती हैं, संस्कृति नहीं। संघ का यह मानना है कि समाज के सभी वर्ग एक साथ मिलकर चलेंगे तो देश का विकास होगा और देश पुनः विश्वगुरु बनेगा।
निम्बाराम ने कहा, यह स्थापित सत्य है कि भारत ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया। हां! जब अपने देश पर हमला हुआ तो उसका प्रतिकार अवश्य सशक्त रूप से किया। आज यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि यह राष्ट्र की जो परिकल्पना है, वह अंग्रेजों की देन है। क्या इस संघर्षपूर्ण एक हजार वर्ष के कालखंड से पूर्व भारत नहीं था? क्या 1947 के बाद ही यह देश बना? यह प्रचारित कर हमारे समाज को भ्रमित किया जा रहा है। निम्बाराम ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज विश्व पटल पर भारत का एक अलग परिदृश्य है। विकसित भारत के लिए सभी की सहभागिता आवश्यक है। स्वराज, स्वधर्म, स्व-तंत्र की स्थापना से ही भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा।
पंच परिवर्तन के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, आज आवश्यकता है कि हम प्रकृति के साथ समभाव बनाएं। हमारे द्वारा प्रकृति का शोषण नहीं होना चाहिए।
जितनी आवश्यकता उतना ही प्रकृति से लेना, ऐसा स्वभाव बनाना होगा। जल, पेड़, प्लास्टिक से मुक्ति के ऐसे उपाय करने होंगे, जिनसे प्रकृति को कोई हानि न हो। कुंभ के लिए संघ द्वारा “एक थाली-एक थैला” अभियान चलाया गया, जिसके चलते हम इतने बड़े आयोजन में प्लास्टिक के प्रयोग से बचे सके हैं।
कार्यक्रम का शुभारम्भ भारत माता के चित्र पर दीप प्रज्वलन से हुआ। इस अवसर पर चित्तौड़ प्रांत के संघचालक जगदीश सिंह राणा, विभाग संघचालक मुकेश अग्रवाल भी उपस्थिति रहे। श्री माधव सेवा प्रन्यास के मंत्री खाजूलाल चौहान ने आभार व्यक्त किया।