पंचांग 17 अगस्त 2021
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सुविचार
लावण्यरहितंरूपं, विद्यावर्जितंवपुः।
जलत्यक्तं सरो भाति, नैव धर्मो दयांबिना॥
भावार्थ
जिस प्रकार लावण्यरहित रूप, विद्यारहित शरीर और जलरहित तालाब शोभा नहीं देते। उसी प्रकार दयारहित धर्म भी शोभा नही देता।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।
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