पंचांग 17 जुलाई 2021
सुविचार
न हीदृशं संवननं त्रिषु लोकेषु विद्यते।
दया मैत्री च भूतेषु दानं च मधुरा च वाक्॥
भावार्थ
प्राणियों के प्रति दया, मैत्री भाव, दानकर्म एवं मधुर वाणी के व्यवहार के जैसा वशीकरण का कोई साधन तीनों लोकों में नहीं है।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।