पंचांग 20 मई 2021
सुविचार
वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि।
लोकोत्तराणां चेतांसि को नु विज्ञातुमर्हति।।
भावार्थ
महापुरुषों के मन की थाह कौन पा सकता है, जो अपने दुखों में वज्र से भी कठोर और दूसरों के दुखों के लिए फूल से भी अधिक कोमल हो जाते हैं।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।