पंचांग 30 अप्रैल 2021
पंचांग 30 अप्रैल 2021
सुविचार
वने रणे शत्रु-जलाग्नि-मध्ये, महार्णवे पर्वत-मस्तके वा।
सुप्तं, प्रमत्तं, विषमस्थितं वा, रक्षन्ति पुण्यानि पुरा कृतानि॥
भावार्थ
अतीत में किसी व्यक्ति द्वारा किए गए अच्छे कर्म हमेशा उसकी रक्षा करते हैं चाहे वह किसी जंगल, युद्ध के मैदान, दुश्मनों के बीच, आग या बाढ़, गहरे समुद्र या पहाड़ के ऊपर हो; चाहे वह सो रहा हो, बेहोश हो या किसी भी विषम स्थिति में (जैसे कि यह COVID19)।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।