पंचांग 30 मई 2021
सुविचार
पापं प्रज्ञा नाशयति क्रियमाणं पुन: पुन:।
नष्टप्रज्ञ: पापमेव नित्यमारभते नर:॥
भावार्थ
बार बार पाप करने से मनुष्य की विवेक और बुद्धि नष्ट होती है और जिसकी विवेक और बुद्धि नष्ट हो चुकी हो, ऐसी व्यक्ति हमेशा पाप ही करता है।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।
Post Views:
285