पंच परिवर्तनों को भजनों और कथाओं के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाएंगे सत्संगी
पंच परिवर्तनों को भजनों और कथाओं के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाएंगे सत्संगी
जयपुर, 3 फरवरी। मुख्य मार्ग गतिविधि, खंड वाटिका की ओर से चाकसू स्थित संत नारायण उ. मा. विद्यालय नारिया का वास में ‘हरिजस’ नामक सत्संगी संगम कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें मुख्य मार्ग पर रहने वाले 152 सत्संगी कलाकार शामिल हुए। ‘हरिजस’ कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन से हुई। इस दौरान तिलक लगाकर और दुपट्टा ओढ़ाकर सभी सत्संगियों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक चैतन्य कुमार ने कहा कि हरिजस केवल कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह उन मनीषियों का संगम और सम्मान है, जो वर्षों से सत्संग के माध्यम से गांव-गांव, ढाणी-ढाणी और घर-घर में धर्म व संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन करने का पुनीत कार्य तन मन धन से कर रहे हैं। यह कार्य अगली पीढ़ी भी करती रहे, हमें इसकी चिंता करनी चाहिए।
पंच परिवर्तनों पर बोलते हुए चैतन्य कुमार ने कहा कि आज समाज में सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्व का बोध एवं नागरिक शिष्टाचार जैसे विषयों पर काम करने की आवश्यकता है। ये समाज का आधार हैं। पंच परिवर्तनों को जन जन तक ले जाने का दायित्व सत्संगियों का भी है। सत्संगी भजन एवं छोटी-छोटी कथाओं के माध्यम से पंच परिवर्तन के पाँचों विषय गांव-गांव, ढाणी-ढाणी, घर-घर तक आसानी से पहुंचा सकते हैं।
इस दौरान कार्यक्रम में उपस्थित सभी सत्संगियों ने पंच परिवर्तन के विषयों को अपने जीवन में उतारने के साथ साथ भजनों और कथाओं के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प भी लिया। सम्मान एवं उद्बोधन के बाद सत्संगी कलाकारों ने ‘मन लागो मेरो यार फकीरी में…..’, ‘चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी’, ‘ यही नाम मुख में हो हरदम हमारे हरिकृष्ण गोविंद माधव मुरारे’ इत्यादि भजनों की शानदार प्रस्तुतियां दीं, जिन्होंने उपस्थित लोगों को झूमने पर विवश कर दिया।