पद्म पुरस्कार 2021 : ईश्वर ने अपने आंगन में अद्भुत कुछ रत्न सजाए हैं
भानुजा श्रुति
जब कमल खिले आंगन आंगन
और भारत में उजियारा है
कुछ लोग धरा पर आए हैं
जीवन को खूब संवारा है।
तुलसी का वंदन हम करते
तुलसी मां को हम नमन करें
उपवन उपवन में फूल खिला
जीवन जंगल में गुजारा है।
वो कदम कदम चलते आए
शिक्षा ही जीवन तर्पण है
पाई पाई को संचित कर
अगणित शिक्षित करवाए हैं।
जब साध्य कठिन और लक्ष्य जटिल
तब कैसे हम सब धैर्य धरें
जहाँ धर्म नहीं मानवता ही
जीवन की अंतिम राह बने।
ना लाश हो कोई लावारिस
कहीं पड़ी हुई विश्वास करें
लोगों की अंतिम यात्रा में
वो धर्मराज बन आए हैं।
रक्तिम आभा कालीनों की
ऐसे शोभित हो जाती है
मानवता अपने मूल रूप में
कभी कहाँ छिप पाती है।
तब हाथ जुड़े अध्यक्षों के
ऐसे कर्मठ जन आए हैं
हम जीवन की उपलब्धि को
क्यों पुरस्कार में जीते हैं।
हासिल है क्या, क्या खोया है
कब ज्ञान हमें हम पीछे हैं।
ईश्वर ने अपने आंगन में
अद्भुत कुछ रत्न सजाए हैं
विश्व पटल पर कैसे उनके
नाम उभर कर आए हैं।