पहले तीन तलाक और अब जेठ से हलाला कराने का दबाव
पहले तीन तलाक और अब जेठ से हलाला कराने का दबाव
लखनऊ। तीन तलाक कानून बनने के बाद भी मुस्लिम महिलाओं की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं। मजहबी मान्यताओं का पालन करने के नाम पर आज भी उन्हें हलाला जैसे अमानवीय व शर्मनाक रिवाज के लिए बाध्य किया जा रहा है। उत्तरप्रदेश के लखनऊ के सआदतगंज थाने में ऐसा ही एक प्रकरण दर्ज हुआ है।
महिला द्वारा पुलिस में लिखवाई गई रिपोर्ट के अनुसार, तीन साल पहले (16 जून 2019 ) महिला का निकाह सूफियान अली उर्फ़ बाबर के साथ हुआ था। निकाह में 5 लाख रुपए दहेज की माँग की गई थी जो महिला के परिवार वाले पूरी नहीं कर पाए। पैसे लाने के लिए ससुराल में उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाने लगा। महिला ने प्रताड़ित करने वालों में ससुर महबूब अली, जेठ गुरफान और ननद नूर सबा के नाम बताए हैं। रिपोर्ट में पीड़िता ने बताया है कि उसके अब्बा का इंतकाल हो चुका है, घर में मॉं है। घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि उनकी मांग पूरी की जा सके। उसका कहना है कि पहले शौहर का व्यवहार ठीक था, लेकिन धीरे धीरे परिवार के दबाव में वह भी आक्रामक हो उसे प्रताड़ित करने लगा। इस बीच महिला ने एक बेटे को भी जन्म दिया। लेकिन 22 अप्रैल 2022 को शौहर बाबर ने उसे तीन तलाक दे कर घर से निकाल दिया। इस पर मॉं बेटी पहले तो गिड़गिड़ाईं, फिर मामले का हल निकालने के लिए पंचायत बुलाई। पंचायत में ससुराल वालों ने महिला को वापस लेने के लिए जेठ के साथ हलाला की शर्त रख दी, जिसके लिए महिला तैयार नहीं है।
उल्लेखनीय है, पिछले महीने मई में भी लखनऊ से ही तीन तलाक का एक और मामला सामने आया था। जब बहराइच के रहने वाले शौहर निजाम ने बेटी होने पर पत्नी से नाराज होकर उसे तीन तलाक दे दिया और दूसरा निकाह कर लिया।