प्रदेश पस्त, सरकार आलाकमान को खुश करने में व्यस्त
प्रदेश पस्त, सरकार आलाकमान को खुश करने में व्यस्त
जयपुर। प्रदेश में प्रतिदिन औसत 18 दुष्कर्म हो रहे हैं, युवा नशे के पंजे में जकड़ते जा रहे हैं, परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं। लेकिन सरकार है कि ढूंढे नहीं मिल रही। मई के महीने में अपराधों में अप्रैल के मुकाबले 16.85 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पूरे महीने में बलात्कार के 710 मामले दर्ज हुए हैं, यानि एक माह में 20 से अधिक बलात्कार प्रतिदिन…और इन सब के बीच प्रदेश की सरकार की बात करें तो वह पिछले लगभग एक माह से कांग्रेस आलाकमान को खुश करने में व्यस्त दिख रही है। मई का अंतिम सप्ताह और जून के शुरुआती दिन राज्यसभा चुनाव की “व्यवस्थाओं“ में बीत गए, वहीं इसके बाद से सरकार के मुखिया या तो लगातार दिल्ली में हैं या फिर धरना प्रदर्शनों में व्यस्त हैं। अकेले पिछले सप्ताह में सत्तारूढ़ कांग्रेस और इसके मंत्रियों ने चार बार जयपुर में प्रदर्शन किया। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार की प्राथमिकता क्या है।
राजस्थान पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं कि मई महीने में प्रदेश में अप्रैल के मुकाबले 3319 अपराध ज्यादा दर्ज किए गए। हत्या के मामले 153 से बढ़कर 175 हो गए, हत्या के प्रयास के मामले 179 से बढ़कर 270 तक पहुंच गए, लूट के मामले 126 से बढ़कर 174 हो गए, वहीं बलात्कार के मामले 611 से बढ़कर 710 हो गए। कुल मिला कर जहां अप्रैल में 19,703 अपराध दर्ज किए गए थे, वहीं मई में इनकी संख्या बढ़कर 23,022 हो गई।
ये तो वे अपराध हैं जो सरकार के आंकड़ों में दर्ज हुए हैं। इनके अलावा सैकड़ों अपराध तो थानों तक पहुंचते ही नहीं हैं और पहुंचते भी हैं तो दर्ज नहीं होते। यही नहीं प्रदेश भर में नशे के बढ़ते कारोबार के समाचार हर रोज सामने आ रहे हैं। जयपुर में ही स्कूलों में नशे के लिए गुंडा गैंग सक्रिय होने की बात सामने आई थी, वहीं पाली, सीकर में भी ऐसे कई मामले मीडिया में सामने आए हैं। गंगानगर तो पहले ही नशे के कारोबार का बड़ा केन्द्र बना हुआ है। आए दिन पेपर लीक हो रहे हैं, परीक्षाएं निरस्त हो रही हैं। ऐसे में भी प्रदेश को उसके हाल पर छोड़ बैठी सरकार की प्राथमिकता कुछ और ही दिख रही है।
मई माह में सरकार पार्टी का चिंतन शिविर कराने में व्यस्त थी और पूरा सरकारी अमला, मंत्री आदि यहां आए कांग्रेस नेताओं की आवभगत में जुटे हुए थे। स्वयं मुख्यमंत्री चार-पांच दिन तक जयपुर छोड़कर उदयपुर जा कर बैठ गए थे। इसके बाद राज्यसभा चुनाव की कवायद शुरू हो गई। प्रदेश की चार राज्यसभा सीटों के लिए दस जून को मतदान हुआ था, लेकिन इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया पिछले माह के अंतिम सप्ताह में शुरू हो गई थी और तभी से सरकार इस चुनाव की व्यवस्थाओं में व्यस्त हो गई। पहले सरकार के अंतरविरोध सामने आए तो उनको दुरुस्त किया गया। फिर सरकार अपनी पार्टी के तीन गैर राजस्थानी सदस्यों को राजस्थान से सांसद बनाने की ‘व्यवस्था’ में जुट गई। इसके लिए दो जून से ही विधायकों की बाड़ाबंदी शुरू कर दी गई और स्वयं मुख्यमंत्री नाराज विधायकों को मनाने में जुटे रहे। यह चुनाव मुख्यमंत्री के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था, क्योंकि कांग्रेस आलाकमान उनके भरोसे ही अपने तीन बड़े नेता यहां से जिता कर राज्यसभा भेजना चाहती थीं। स्थिति यह है कि राजस्थान से कांग्रेस के छह राज्यसभा सदस्यों में से पांच राजस्थान से बाहर के हैं।
बहरहाल चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ईडी से पूछताछ का मामला आ गया और यहां भी आलाकमान के सामने सबसे आगे रहने के लिए राजस्थान की पूरी कांग्रेस पिछले दस दिन से दिल्ली में जमी हुई है। स्वयं मुख्यमंत्री इस दौरान बस दो-तीन दिन के लिए जयपुर आए। अब राहुल से चल रही पूछताछ के साथ ही अग्निपथ का मुद्दा आ गया है और इस मामले में भी राजस्थान में हो रहे विरोध प्रदर्शनों तथा सरकारी सम्पत्ति को हो रहे नुकसान को रोकने के बजाए कांग्रेस और इसके नेता इसे बढ़ाने में जुटे दिख रहे हैं। इस दौरान जयपुर, अलवर, भरतपुर, सीकर, जोधपुर सहित जहां-जहां प्रदर्शन हुए, वहां सरकार की एक भी सख्त कार्रवाई नजर नहीं आई।
एक तरफ जहां मुख्यमंत्री दिल्ली में व्यस्त थे, वहीं उनकी सरकार के नुमाइंदे जयपुर और प्रदेश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शनों में व्यस्त थे। पिछले सप्ताह की बात करें तो कांग्रेस ने सोमवार को ईडी कार्यालय पर प्रदर्शन किया, फिर दो दिन बाद राजभवन का घेराव किया, फिर अगले ही दिन सिविल लाइंस पर फिर प्रदर्शन किया और इसके बाद रविवार को शहीद स्मारक पर तिरंगा यात्रा निकाली। इसके बाद सोमवार को फिर पूरी सरकार दिल्ली रवाना हो गई। स्थिति यह है कि लोगों को समझ ही नहीं आ रहा है कि यहां कांग्रेस सत्ता में है या विपक्ष में, क्योंकि एक ही सप्ताह में इतनी बार तो यहां विपक्ष में बैठी भाजपा भी सड़कों पर नहीं उतरी है।
बहरहाल अभी यह स्थिति समाप्त होती दिख नहीं रही है, क्योंकि अभी तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ होनी है। यानि जनता पस्त और सरकार आलाकमान को खुश करने में व्यस्त वाली स्थिति अभी बनी रहेगी। लेकिन जनता का क्या…? क्या महिला सुरक्षा को सरकार गम्भीरता से लेगी..? या नशा तस्करों पर सख्त कार्रवाई होगी…?