ब्रिटेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर बर्मिंघम हुआ दिवालिया
ब्रिटेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर बर्मिंघम हुआ दिवालिया
ब्रिटेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर बर्मिंघम दिवालिया हो गया है। अभी कुछ दिनों पहले बर्मिंघम सिटी काउंसिल ने स्वयं इसकी जानकारी दी। 5 सितंबर, मंगलवार को धारा 114 के अंतर्गत सिटी काउंसिल की ओर से एक नोटिस जारी किया गया, जिसके अनुसार शहर में आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त अन्य सभी व्ययों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी गई। इसका कारण बताते हुए कहा गया है कि 954 मिलियन डॉलर के समान वेतन दावों की लागत के कारण वर्तमान में यह नकारात्मक आर्थिक स्थिति बनी है।
सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि बर्मिंघम सिटी काउंसिल के पास जितने भी वित्तीय संसाधन हैं, उनसे अधिक उस अवधि में व्यय हो गया है। यह बर्मिंघम के दिवालिया घोषित होने का बड़ा कारण है।
सिटी काउंसिल के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 109 मिलियन डॉलर की कमी हुई है। इसके अतिरिक्त उन्हें 650 मिलियन पाउंड (लगभग 68 अरब रुपये) से लेकर 760 मिलियन पाउंड (लगभग 79 अरब रुपये) तक के वेतन दावों का भी सामना करना पड़ रहा है।
काउंसिल के डिप्टी लीडर शेरोन थॉम्पसन ने कहा कि यह समस्या बहुत समय से चल रही है। काउंसिल इसको लेकर लगातार चिंताग्रस्त है। थॉम्पसन ने कंजर्वेटिव पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बर्मिंघम में कंजर्वेटिव सरकार की ओर से 1 बिलियन पाउंड के फंड में कमी की गई है। जिसके कारण यह स्थिति बनी है।
भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बर्मिंघम सिटी के दिवालिया होने के लिए लेबर एडमिनिस्ट्रेशन को जिम्मेदार बताया है।
वहीं टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार बर्मिंघम सिटी काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि इस शहर में पाकिस्तान और बांग्लादेश मूल के लोगों की बड़ी संख्या है। यह रिपोर्ट कहती है कि इस शहर की 50% से अधिक जनसंख्या एथनिक माइनोरिटी अर्थात अल्पसंख्यक है और यहाँ ब्रिटेन के अन्य भागों की तुलना में सबसे अधिक पाकिस्तानी मूल के लोग रहते हैं। इनकी शिक्षा के स्तर, कौशल आदि के कारण काउंसिल बैलेंस शीट में गड़बड़ी हुई है। इस शहर में कार्य करने वाली आयु के कुल 65% लोगों के पास नौकरी है, जबकि राष्ट्रीय औसत इसका 74% है। पाकिस्तानी एवं बांग्लादेशी नागरिकों के पास योग्यता नहीं है एवं लगभग 47,005 लोग अंग्रेजी नहीं बोल पाते हैं फिर भी बड़ी संख्या में पाकिस्तानी और बांग्लादेश मूल के लोग शहर की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं।
वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार बर्मिंघम में लगभग 1,95,102 पाकिस्तानी व 48,232 बांग्लादेशी रहते हैं।
कई सोशल मीडिया यूजर सोशल मीडिया पर इन आंकड़ों को लेकर प्रश्न कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहले बर्मिंघम एक ब्रिटिश शहर था, परंतु अब यहां मुस्लिम एशियाई लोगों की जनसंख्या अधिक हो गई है जो वर्तमान स्थिति का कारण है।
बर्मिंघम के लोगों के अनुसार शहर के दिवालिया होने का एक बड़ा कारण पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुस्लिम शरणार्थियों का कर ना देना तथा कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेना भी है। ये लोग शहर की कानून व्यवस्था को भी प्रभावित करते हैं।