बुल्ली बाई वर्सेस सुल्ली बाई
अंजन कुमार ठाकुर
बुल्ली बाई एप पर जावेद अख्तर को गुस्सा आया
बुल्ली बाई एप पर जावेद साहब को गुस्सा आया। गुस्सा आना भी चाहिए। नारी का किसी भी प्रकार अपमान हो तो गुस्सा आना चाहिए। जिसने भी वेबसाइट खोल कर नारी की नीलामी की हो, उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए। मैं तो मानता हूं कि उन्हें चौराहे पर संगसार करके नरक में भेजा जाना चाहिए। नारी के विरुद्ध थोड़ी बेअदबी भी ना काबिले बर्दाश्त है।
लेकिन जावेद साहब उर्दू में एक लफ्ज है – माल ए गनीमत, इस पर आपको कभी गुस्सा क्यों नहीं आया? आप उर्दू के कदरदान हैं। हर एक लफ्ज़ के मायने खूब समझते हैं।
जनाब, मैंने पढ़ा था कि एक बार आप पेरिस गये थे किसी फिल्मी प्रोग्राम में, तो वहां का फेमस ब्रोथेल घूमने गए थे, और मजे की बात आपके साथ हर पराए दर्द में आह भरने वाली शबाना आजमी भी घूमने गई थीं। ब्रॉथेल समझते हैं ना आप? जी, इसे संस्कृत में वेश्यालय और उर्दू में रंडी खाना कहते हैं। जनाब, आप अपने शरीके हयात के साथ वहां महिलाओं की कौन सी ताजपोशी देखने गए थे? मुझे पता नहीं चलता है कि रंडी खाने में रहने वाली खवातीनों के किस हुकूक के लिए आपकी बेगम शबाना जी वहां गई थीं?
पर क्या आपको उस समय गुस्सा आया?
रंडी खाने में कौन सा फेमिनिज्म परवान चढ़ता है?
खैर दिल आपका, दिमाग आपका, गुस्सा आपका।
सिर्फ तीन बार अपनी शरीके हयात को तलाक कह कर और चंद सिक्के खनका कर अपनी जिंदगी से बेदखल करने की मुकद्दस कोशिश पर तो आपको गुस्सा नहीं आया।
जब इस पर गुस्सा नहीं आया तो हलाला पर क्या आएगा?
खैर! आपकी मर्जी।
इस बुल्ली बाई और सुल्ली बाई पर आपका गुस्सा जरूर वाजिब है।
एक संगठन है बोको हराम और ISIS, जिसने ना मालूम कितनी खवातीनों को बंधक बनाया और उनका जिस्मानी तौर पर शोषण किया, और कर रहे हैं।
पर उन पर गुस्सा क्यों आएगा क्योंकि वो तो निजाम ए मुस्तफा कायम कर रहे हैं।
शायद आपको याद हो कि पिछले वर्ष पाकिस्तान का एक वीडियो वायरल हो रहा था, जिसमें एक सिख की बेटियों की जबरन शादी करवाई जा रही थी (मुझे यकीन है कि आपको पता होगा, किससे शादी करवाई जा रही थी और वह भी बिल्कुल शरीयत के हवाले से) वह बाप रो रहा था, मिन्नतें कर रहा था, पर इस वीडियो को देखकर भी आपको गुस्सा नहीं आया होगा, मुझे यकीन है!
आपके सिलेक्टिव गुस्से का तो वो आलम है कि एक शेर अर्ज कर दूँ …
सौ गमों को निचोड़ने के बाद,
हम पिएं तो शराब बनती है।
बाकी का गम तो दूध भात है।
आपकी ही बिरादरी की हैं मास्टर-जी सरोज खान, उन्होंने कुबूल किया था कि कास्टिंग काउच तो सबका होता है, खासकर हीरोइनों का। परंतु वह तो खवातीनों की ताजपोशी है, उस पर गुस्सा क्यों आएगा आपको?
चीन में उइगर मुसलमानों की हालत पर गुस्सा नहीं आ रहा आपको! पर इस पर शिकायत क्या करना, वर्णांधता किसी को भी हो सकती है।
एक असिन विराथु को दुनियादारी का थोड़ा ज्ञान आ गया तो सारे रोहिंग्या उसी हिंदुस्तान के बॉर्डर पर धरना दिए बैठे हैं जहां बकौल आप की इंडस्ट्री के एक सुपर स्टार की उस बीवी को भी रहने में डर लगता है, जिसे उस स्टार (?) ने तलाक दे दिया है।
परंतु मेरा मानना है कि वेबसाइट खोल कर किसी भी स्त्री का अपमान करना अमानवीय कृत्य है और इसके लिए दंड मिलना ही चाहिए।
समाचार है कि श्वेता सिंह और विकास झा नाम के व्यक्ति के साथ एक नेपाली नागरिक की भी संलिप्तता पाई गई है। इस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और होगी भी। मगर जावेद साहब, आपका गुस्सा भी सिलेक्टिव नहीं ग्लोबल होना चाहिए।
विश्वास करिए, जब तक भारत में हिंदू बहुसंख्यक हैं, तभी इस देश में इस्लाम है, ईसाइयत है, यहूदी हैं, पारसी हैं, साम्यवाद है और बोलने की आजादी भी। वरना जहां सिर्फ इस्लाम है वहां न हिंदू हैं, न ईसाइयत है, ना यहूदी हैं, न पारसी हैं और न ही वामपंथ है।
फैज की ग़ज़ल भी नहीं पढ़ सकते हैं।
बोल कि लब आजाद हैं तेरे।
शानदार लेख,रचनाकार को बधाई।