भारतीय किसान संघ का राष्ट्रव्यापी धरना, 8 को जुटेंगे किसान, प्रदर्शन कर देंगे ज्ञापन

भारतीय किसान संघ का राष्ट्रव्यापी धरना, 8 को जुटेंगे किसान, प्रदर्शन कर देंगे ज्ञापन

भारतीय किसान संघ का राष्ट्रव्यापी धरना, 8 को जुटेंगे किसान, प्रदर्शन कर देंगे ज्ञापन

कोटा, 04 सितम्बर। किसानों को लाभकारी मूल्य देने सहित विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ का एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी धरना 8 सितम्बर को आयोजित होगा। देशभर में भारतीय किसान संघ के आह्वान पर बड़ी संख्या में किसान जुटेंगे और प्रदर्शन कर ज्ञापन देंगे। शहर में जिला कलेक्ट्रेट पर किसानों की ओर से प्रातः 11 बजे से धरना आयोजित किया जाएगा। भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री कैलाश गैंदोलिया ने शुक्रवार को आयोजित प्रेसवार्ता में धरने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी

उन्होंने बताया कि भारतीय किसान संघ की प्रबंध समिति की बैठक 7-8 अगस्त को दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर आयोजित की गई थी। जिसमें भारतीय किसान संघ द्वारा गठित 36 प्रांतों के पदाधिकारियों की उपस्थिति में तय किया गया था कि सरकार 31 अगस्त तक भारतीय किसान संघ को वार्ता के लिए बुलाए या लाभकारी मूल्य देने संबंधी कोई नीति घोषित करें। जिस पर फिलहाल सरकार की कोई सकारात्मक पहल नहीं दिखाई दी है। ऐसे में भारतीय किसान संघ 8 सितंबर को आंदोलन करने पर मजबूर है।

प्रान्त अध्यक्ष शंकरलाल नागर ने बताया कि किसानों को उपज का पूरा मूल्य नहीं मिलने के कारण गरीब किसान कर्जदार होता जा रहा है। सरकार द्वारा घोषित एमएसपी केवल छलावा साबित हुई है, इसका लाभ केवल कुछ प्रतिशत किसानों को ही मिल पाता है। प्रान्त प्रचार प्रमुख आशीष मेहता ने कहा कि केवल मूल्य घोषित करने से कुछ नहीं होगा, उस मूल्य पर उपज की खरीदी भी होनी चाहिए। चाहे खरीदी मंडी में या फिर बाहर हो या फिर सरकार के द्वारा खरीदी जाए। घोषित मूल्य से कम पर खरीदी अपराध माना जाए। यह बिना कठोर कानून के संभव नहीं है। भारतीय किसान संघ लाभकारी मूल्य मिलने तक आंदोलन जारी रखेगा। आगे की रणनीति की घोषणा 8 सितंबर के बाद की जाएगी। इसके बाद भारतीय किसान संघ प्राइवेट बिल के माध्यम से लाभकारी मूल्य देने संबंधी कानून बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ करेगा।

संभागीय अध्यक्ष विक्रम सिंह ने बताया कि संभाग के कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में जिला मुख्यालयों पर किसानों द्वारा धरना दिया जाएगा। इस दौरान पूरी तरह से कोविड गाइडलाइन की पालना की जाएगी। जिलाध्यक्ष गिरीराज चौधरी ने बताया कि जिले के कनवास, लाडपुरा, सांगोद, दीगोद, सुल्तानपुर, रामगंजमंडी, रावतभाटा तथा कोटा शहर से बड़ी संख्या में किसान धरने में शामिल होने के लिए आएंगे।

जगदीश कलमंडा ने कहा कि भारतीय किसान संघ तीनों कृषि कानूनों को किसानों के हित में मानता है। केन्द्र सरकार की ओर से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में सुधार कानून, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण ) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून लाए गए हैं। इन कानूनों को लेकर भारतीय किसान संघ की ओर से चार सुझाव दिए गए हैं। जिसमें सरकार को बताया था कि सभी प्रकार की खरीद समर्थन मूल्य पर होने का कानूनी प्रावधान होना चाहिए। वहीं निजी व्यापारियों का राज्य एवं केंद्र स्तर पर पंजीयन आवश्यक हो तथा उनकी बैंक सेक्युरिटी हो। जो एक पोर्टल के द्वारा सबके लिए उपलब्ध रहे। इस संदर्भित जो भी विवाद हों उनके समाधान के लिए स्वतंत्र कृषि न्यायालयों की व्यवस्था हो और सब विवादों का निपटारा किसान के गृह जिले में ही होना चाहिए। इसके अलावा इन अध्यादेशों में ‘किसान’ की परिभाषा में कार्पाेरेट कंपनियां भी एक किसान के रूप में आ रही हैं। उसको भी तर्कसंगत बनाकर जो केवल कृषि पर ही निर्भर हैं, वहीं इस परिभाषा में किसान माना जाए।

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