भारतीय चिंतन आत्मकेंद्रित नहीं, बल्कि सर्वकल्याण का है- भैयाजी जोशी

भारतीय चिंतन आत्मकेंद्रित नहीं, बल्कि सर्वकल्याण का है- भैयाजी जोशी

भारतीय चिंतन आत्मकेंद्रित नहीं, बल्कि सर्वकल्याण का है- भैयाजी जोशीभारतीय चिंतन आत्मकेंद्रित नहीं, बल्कि सर्वकल्याण का है- भैयाजी जोशी

जयपुर, 15 जुलाई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी सुरेश जोशी ने कहा है कि भारतीय चिंतन कभी आत्मकेंद्रित नहीं रहा, बल्कि सर्व कल्याण का रहा है। सबके साथ शांति के साथ चलने और रहने का संदेश देने वाला रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषी, ऋषि, सन्यासी और विद्वान जहां भी गए ज्ञान लेकर गए हैं। भारत का इतिहास रहा है कि भारत में कभी किसी के साथ अन्याय नहीं किया है। भारत का हर व्यक्ति सहकारिता के साथ जीता है।

भैयाजी शुक्रवार को भारत विकास परिषद, राजस्थान उत्तर-पूर्व प्रांत की ओर से आयोजित प्रबुद्ध एवं संभ्रांत जन संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज भारत को जानने की महती आवश्यकता है। भारत के बनने और भारत के बनाने में बड़ी चुनौती है, क्योंकि भारत को भारतीय दृष्टि से जानने वाले कम हैं। हमें भारत को जानने वाला ही नहीं बल्कि भारत को मानने वाला भी बनना है। भारत को जानने वाले बनाना भी है। आज भारत के बनने और भारत के बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि भारत में कई आक्रांता आए लेकिन भारत को समाप्त नहीं कर पाए, क्योंकि भारतीय समाज बहुकेन्द्रित व्यवस्थाओं पर चलता था। हालांकि अंग्रेजों को थोड़ी मात्रा में सफलता मिली और अंग्रेजी आक्रमण से प्रभावित हुए हैं, यही कारण है कई शिक्षित लोग भी भ्रमित हो जाते हैं। आज भी उस भाव से पीछे नहीं आए हैं। स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी मानसिक गुलामी से बाहर नहीं आये हैं, इसके लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की श्रेष्ठ बातों का समाज में पर्कोलेशन होना चाहिए।

भैयाजी ने कहा कि देश को आगे ले जाने में विद्वान, रक्षा करने वाले, उद्योग धंधे चलाने वाले, नियमित श्रम करने वाले सभी लोगों का योगदान है। भिन्न भिन्न शक्तियां के योगदान से हजारों वर्षों से हमारा समाज चलता आया है। उन्होंने शिक्षा के व्यवसायीकरण और कला के विकृत रूप पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि भारत में विद्या बेचने का नहीं दान का विषय रहा है। जीवन की शिक्षा देने वाला ज्ञान होना चाहिए। आज शिक्षा व्यापार हो गया है। देश में कला का श्रेष्ठ स्थान रहा है लेकिन इसके माध्यम से समाज में प्रदूषण फैलाया जा रहा है, इसे ठीक करने की आवश्यकता है। इसी तरह धर्म का भी भारतीय समाज में बड़ा महत्व रहा है। उन्होंने कहा कि हम भाग्यशाली हैं। हमने भारत में जन्म लिया। यहां जन्म लेने मात्र से हम प्राचीन संस्कृति और परंपराओं के वाहक बन गए। यह सौभाग्य किसी दूसरे देश में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नहीं मिला है।

इस अवसर पर भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन ने भारत विकास परिषद के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत विकास परिषद कई सेवा कार्य चला रहा है। वंचित वर्ग के लिए स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए कोटा और फरीदाबाद में आधुनिक सुविधाओं से युक्त हॉस्पिटल संचालित किए जा रहे हैं। हमारा उद्देश्य गरीबों को भी फाइव स्टार स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
एवर साइन मार्बल्स किशनगढ़ के चेयरमैन मुकेश अग्रवाल ने कहा कि देशभर में परिषद की करीब 1700 शाखाएं चल रही है। इनके माध्यम से कोरोना काल में कई सेवा कार्य भी चले। उन्होंने प्रबुद्धजनों से भारत विकास परिषद के साथ जुड़कर सहयोग करने की अपील की है।

इस अवसर पर अजय जैन गोधा ने कहा कि भारत विकास परिषद से जुड़ने से परिवार में भारतीय सोच और संस्कारों का बीजारोपण करेगी। कार्यक्रम को परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्याम शर्मा ने भी संबोधित किया।

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