भारत की प्राचीन परिवार व्यवस्था सुखी जीवन का आधार है- नंदलाल
बांसवाड़ा, 13 दिसम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक नंदलाल ने कहा कि सुखी होना चाहते हैं तो भारतीय प्राचीन परिवार व्यवस्था को देखना चाहिए। भौतिक साधनों से सुख की चाह ही गलत है, सुख संबंधों को जीने से मिलता है। कुछ लोगों को इकट्ठा करने से परिवार नहीं बनता। परिवार रिश्तों से बनता है, गहरे संबंध और संस्कारों का नाम परिवार है। परिवार बहुत मूल्यवान इकाई है। ईश्वर ने संसार की रचना के साथ ही विचार व कल्पना की शक्ति का सामर्थ्य केवल मनुष्य को दिया है।
वरिष्ठ प्रचारक नंदलाल बांसवाड़ा के पाटीदार छात्रावास में रविवार रात को कुटुंब प्रबोधन कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम में करीब 200 परिवारों ने सहभाग किया। उन्होंने कहा कि भारत ने ही वसुधैव कुटुंबकम यानि पूरी वसुधा एक परिवार है, का संदेश दिया। जन्म देने वाली मां पूजनीय है, परंतु धरती मां, तुलसी मां, गंगा मां और गौ माता का भी महत्व उतना ही है। भारत की गौरवशाली प्राचीन परंपराएं धरती पर कहां कहां हैं, गूगल पर सर्च करने पर गर्व की अनुभूति होगी। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों एवं भजन के माध्यम से प्राचीन भारतीय परिवार व्यवस्था के बारे में बताया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर संघचालक कमलाकांत सेठ, रामद्वारा के संत रामप्रकाश एवं उदय राम गरिमामय, विभाग प्रचारक विकास राज, विभाग के कुटुंब प्रबोधन प्रमुख जयंतीलाल भट्ट, चित्तौड़ प्रांत संपर्क प्रमुख कृष्ण मुरारी गौतम और सह विभाग कार्यवाह रमेश बृजवासी समेत विभिन्न संगठन के सभी कार्यकर्ता परिवार सहित उपस्थित रहे।