माटी से जुड़े, स्वच्छ छवि के राजनेता थे भैरोंसिंहजी
जितेंद्र सिंह शेखावत
बाबोसा के रूप में पहचाने जाने वाले भैंरोसिंहजी शेखावत एक आदर्श और स्वच्छ छवि वाले राजनेता थे। वे अपने जीवनकाल में तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार उप राष्ट्रपति रहे। उनका सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन बेदाग रहा। 23 अक्टूबर 1923 को साधारण परिवार में जन्मे और गरीबी को निकट से देखने वाले भैरोंसिंहजी के मन में गरीबों एवं हाशिए पर छूट गए लोगों के लिये विशेष स्नेह एवं करुणा थी।
उन्होंने 1952 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और जीवन भर देश की सेवा में समर्पित रहे। राजनीतिक दृष्टि से पहले जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी की आजीवन (अंतिम श्वास तक) सेवा की।
मुख्यमंत्री रहते हुए शेखावत जी ने पंचायती राज संस्थानों को मजबूत किया, किसानों का लगान माफ करवाया, अन्त्योदय योजना का सफल क्रियान्वयन करवाया एवं सुशासन की अवधारणा को मजबूत बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शेखावत जी तीन बार मुख्यमंत्री बने जिनमें से दो बार उनके पास पूर्ण बहुमत नहीं था। परन्तु अपनी कार्य कुशलता एवं समन्वय की भावना से उन्होंने हर बार राजस्थान में कुशल, सक्षम व स्थिर सरकार दी।
भैरोसिंहजी ने राजनीति को समाज सेवा एवं समाज को संगठित करने का माध्यम बनाया, ना कि राजनीति चमकाने के लिये समाज को तोड़ने और द्वेष फैलाने का कार्य किया। उन्होंने राजस्थान को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने का भरपूर प्रयास किया। जिससे राजस्थान को भारत ही नहीं विश्व के पर्यटन मानचित्र पर विशेष स्थान मिला।
उपराष्ट्रपति के रूप में बाबोसा को संसदीय परम्परा का श्रेष्ठ निर्वहन करने, संसदीय एवं संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा बढ़ाने, उन्हें मजबूत करने एवं सबसे महत्वपूर्ण राज्यसभा की भूमिका को सार्थक करने एवं सहकारी संघवाद को मजबूत करने के लिये सदैव याद किया जायेगा।
शेखावत जी ने समाज को ही नहीं अपितु देश को सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक रूप से मजबूत किया। शेखावत जी के जाने से समाज जीवन एवं राजनीतिक जीवन में जो शून्यता उत्पन्न हुई है उसे भरने में काफी समय लगेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तम्भ लेखक हैं)