शौर्य के साथ शासन कौशल व जीवन मूल्यों के भी आदर्श हैं महाराणा प्रताप – होसबाले

शौर्य के साथ शासन कौशल व जीवन मूल्यों के भी आदर्श हैं महाराणा प्रताप - होसबाले

शौर्य के साथ शासन कौशल व जीवन मूल्यों के भी आदर्श हैं महाराणा प्रताप - होसबाले

  • आएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने किया प्रताप जयंती समारोह का उद्घाटन
  • उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र पर 9 दिवसीय कार्यक्रम शुरू

उदयपुर, 12 जून। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप न केवल शौर्य के प्रतीक हैं, बल्कि जीवन मूल्यों के भी आदर्श हैं। उनके युद्ध कौशल पर चर्चा हुई है, लेकिन उनके शासन कौशल पर चर्चा का अभाव रहा है। युद्ध के बाद उन्होंने शासन के संचालन को भी कुशलतापूर्वक निभाया। उनके इस पक्ष पर भी विशेष ध्यान की आवश्यकता है। उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र को इस विषय पर अध्ययन का प्रयास करना चाहिए।

यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शनिवार को उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ की ओर से महाराणा प्रताप जयंती के 9 दिवसीय समारोह के उद्घाटन पर मुख्य अतिथि के रूप में कही। विभिन्न माध्यमों पर ऑनलाइन प्रसारित हो रहे इस उद्घाटन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि राणा मुगलों से कभी नहीं हारे। इतिहासकारों ने राणा के साथ न्याय नहीं किया। राणा के सम्बंध में सटीक शोध के लिए हर पीढ़ी को महाराणा प्रताप के जीवन के हर पक्ष के सम्बंध में तथ्यों के वृहद अध्ययन का अवसर मिलना चाहिए।

सरकार्यवाह ने कहा कि महाराणा प्रताप हों, छत्रपति शिवाजी हों, असम में मुगल आक्रमण को रोकने वाले लचित बड़फुकन हों, राजा रणजीत हों, सुहैल देव हों, अहिल्या बाई होल्कर हों, इन सभी महापुरुषों का शासन कौशल भी मानवीय जीवन मूल्यों के प्रति समर्पित था। जिस तरह भगवान राम ने लंका विजय के बाद शासन व्यवस्था में एक अद्वितीय आदर्श स्थापित किया, उसी तरह इन महापुरुषों का भी शासन कौशल रहा जिस पर शोध की आवश्यकता है।

“अस लेगो अणदाग पाग लेगो अणनामी, गो आडा गवड़ाय जीको बहतो घुरवामी, नवरोजे न गयो न गो आसतां नवल्ली, न गो झरोखा हेठ जेठ दुनियाण दहल्ली, गहलोत राण जीती गयो दसण मूंद रसणा डसी, निसा मूक भरिया नैण तो मृत शाह प्रतापसी’’ इन पंक्तियों को दोहराते हुए सरकार्यवाह होसबाले ने मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देने वाले वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को नमन किया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम लेते ही एक स्फूर्ति का अनुभव होता है। अचानक रगों में रक्त का संचार बढ़ने का अहसास होता है। एक नई ऊर्जा की अनुभूति होती है। आत्मविश्वास दृढ़ होता है। उनका जीवन हमें मातृभूमि के प्रति सर्वस्व समर्पण की प्रेरणा देता है। महाराणा प्रताप हमारे आदर्श हैं, प्रातःस्मरणीय हैं।

इससे पूर्व, सरकार्यवाह होसबाले ने प्रताप गौरव केन्द्र पर आधारित लघु फिल्म का भी लोकार्पण किया। कार्यक्रम के आरंभ में वीर शिरामेणि महाराणा प्रताप समिति के महामंत्री डाॅ. परमेन्द्र दशोरा ने उनका स्वागत किया तथा आगामी 9 दिन तक होने वाले आयोजनों की संक्षिप्त जानकारी दी। अंत में अध्यक्ष डाॅ. बी.एल. चौधरी ने उनका आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने ‘मायड़ थारो वो पूत कठै..’ गीत भी प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि कोविड प्रोटोकाॅल को ध्यान में रखते हुए सभी आयोजन वर्चुअल रखे गए हैं। प्रतिदिन सायंकाल 5 बजे होने वाले मुख्य सत्र में 13 जून को वरिष्ठ विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ‘इण्डिया दैट इज भारत’ विषय पर, 14 जून को सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट मोनिका अरोड़ा ‘अर्बन नक्सल’ विषय पर, 15 जून को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ‘राजनीतिक हिंसा से जूझता लोकतंत्र’ विषय पर, 16 जून को राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ‘सीएए – भ्रम एवं वास्तविकता’ विषय पर, 17 जून को श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महामंत्री चम्पतराय ‘राम मंदिर निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ विषय पर, 18 जून को विहिप केन्द्रीय प्रबंध समिति के सदस्य धर्मनारायण शर्मा ‘जो दृढ़ राखे धर्म को तेहि राखे करतार’ विषय पर, 19 जून को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति के जी. सुरेश ‘राष्ट्र निर्माण में मीडिया की सकारात्मक भूमिका’ विषय पर अपना प्रबोधन देंगे। अंतिम दिन 20 जून को समापन समारोह में केन्द्र सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल ‘राष्ट्र का पावन तीर्थ मेवाड़’ विषय पर विचार रखेंगे। इसके अतिरिक्त सुबह व रात्रिकालीन सत्र में विभिन्न प्रतियोगिताएं, परिचर्चाएं, काव्यपाठ आदि के आयोजन होंगे।

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