माँ से बढ़कर दुनिया में कोई ईश्वर नहीं होता
माँ बचपन के होठों पर थिरकती मुस्कान है।
माँ परमात्मा से बच्चे की पहली पहचान है।
माँ स्नेह और विश्वास का मधुर गान है।
माँ मासूम सी कलियों का बड़ा आसमान है।
कोई मकान माँ के बगैर घर नहीं होता।
माँ से बढ़कर दुनिया में कोई ईश्वर नहीं होता।।
माँ दुनिया की सभी लिपियों का पावन अक्षर है
माँ नफरत के पन्नों पर स्नेह भरा हस्ताक्षर है।
माँ गद्दी है, तकिया है, रजाई और बिस्तर है।
माँ बालक के हर सवाल का सटीक उत्तर है।
जब तक माँ का हाथ है, जीवन में कोई डर नहीं होता।
इसलिए दुनिया में माँ से बढ़कर कोई ईश्वर नहीं होता।।
माँ पूजा है, इबादत है और हृदय की अरदास है।
माँ जीवन मूल्यों का पावनतम विश्वास है।
माँ घर में आंगन की सुंदरतम रंगोली है।
माँ हर बच्चे की हँसी, खुशी और ठिठोली है।
माँ का मतलब उनसे पूछो जिनके सिर पर माँ का आंचल नहीं होता।
इसलिए माँ से बढ़कर दुनिया में कोई ईश्वर नहीं होता।।
पिता घर की छत और माँ उस घर की बुनियाद है।
माँ आत्मा तो पिता उसका शरीर है।
माँ जिस घर में दुःख से व्यथित आहत है।
समझ लो आने वाली बर्बादी की आहट है।
जिसने ठुकराया माँ को उसका कोई दर नहीं होता।
माँ से बढ़कर दुनिया में कोई ईश्वर नहीं होता।।
नेहा बिश्नोई