मुंह की सफाई को नजरअंदाज करना हो सकता है घातक

मुंह की सफाई को नजरअंदाज करना हो सकता है घातक

अमित बैजनाथ गर्ग

मुंह की सफाई को नजरअंदाज करना हो सकता है घातकमुंह की सफाई को नजरअंदाज करना हो सकता है घातक

दांतों की बीमारी विश्व में दूसरे स्थान पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, ओरल हेल्थ से बड़ी संख्या में बच्चे और युवा पीड़ित हैं। सबसे खराब ओरल हेल्थ में भारतीय टॉप पर हैं। लगभग 70 प्रतिशत स्कूली बच्चों के दांतों में सड़न की समस्या है, जबकि 90 प्रतिशत तक वयस्क मसूड़ों की बीमारी से जूझ रहे हैं। मुंह की सफाई सही तरह से न करने से कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। दांतों में होने वाली किसी तरह की समस्या गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ाती है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, खराब मसूड़े एक समय बाद रक्त में ग्लूकोज के स्तर को प्रभावित करने लगते हैं, जो डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है। अगर कोई डायबिटीज का पहले से ही मरीज है, तो उसकी समस्याएं बढ़ सकती हैं। खराब डेंटल हेल्थ से रक्त प्रवाह में बैक्टीरियल इंफेक्शन बढ़ सकता है, जो हृदय के वाल्व को प्रभावित कर सकता है।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दांतों के टूटने के पैटर्न का हृदय की धमनियों से भी कनेक्शन है। दांत की बीमारी हृदय का रोगी बना सकती है। इससे कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। वहीं वेब एमडी के अनुसार, खराब ओरल हेल्थ वालों में ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) से मुंह के इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है, जो बाद में मुंह के कैंसर का कारण बन सकता है। ऐसे में ओरल साफ-सफाई पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त ओरल हेल्थ खराब होने से एंडोकार्डिटिस, निमोनिया, प्रेगनेंसी में प्रीमेच्योर बर्थ और जन्म के समय बच्चे का कम वजन, ऑस्टियोपोरोसिस, एचआईवी-एड्स और अल्जाइमर का खतरा भी बना रहता है। असल में दुनिया में जुकाम के बाद सबसे अधिक होने वाली दूसरी बीमारी दांतों की सड़न है। यह सड़न जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करती है। दांतों के सड़ने से पाचन तंत्र खराब होता है। जिससे शरीर का पूरा सिस्टम प्रभावित होता है।

डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ओरल हेल्थ स्टेटस रिपोर्ट का अनुमान है कि दुनिया भर में लगभग 3.5 बिलियन लोग मौखिक बीमारियों से पीड़ित हैं, जिनमें चार में से तीन लोग मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। वैश्विक स्तर पर अनुमानित दो बिलियन लोग स्थायी दांतों की सड़न से पीड़ित हैं और 514 मिलियन बच्चे प्राथमिक दांतों की सड़न से पीड़ित हैं। बढ़ते शहरीकरण और जीवन स्थितियों में बदलाव के साथ मुख्य मौखिक रोगों का प्रसार वैश्विक स्तर पर बढ़ता जा रहा है। यह मुख्य रूप से फ्लोराइड (पानी की आपूर्ति और टूथपेस्ट जैसे मौखिक स्वच्छता उत्पादों में) के अपर्याप्त संपर्क, उच्च चीनी सामग्री वाले भोजन की उपलब्धता और सामर्थ्य तथा समुदाय में मौखिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक खराब पहुंच के कारण है। उच्च चीनी वाले खाद्य और पेय पदार्थों के साथ-साथ तंबाकू और शराब ने ऐसे उत्पादों की बढ़ती खपत को जन्म दिया है, जो मौखिक स्वास्थ्य स्थितियों और अन्य गैर-संचारी रोगों में योगदान देते हैं।

इस बारे में डेंटल एक्सपर्ट-एक्टिविस्ट डॉ. मुकेश पंवार का कहना है कि दांतों का टूटना या गिरना आमतौर पर मौखिक बीमारी का अंतिम चरण होता है। यह कई कारणों से हो सकता है। 20 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में पूर्ण दांतों के नुकसान का अनुमानित वैश्विक औसत प्रसार लगभग सात प्रतिशत है। 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों के लिए 23 प्रतिशत की बहुत अधिक वैश्विक व्यापकता का अनुमान है। दांतों का गिरना मनोवैज्ञानिक रूप से दर्दनाक, सामाजिक रूप से हानिकारक और कार्यात्मक रूप से सीमित करने वाला हो सकता है। यह मुंह के कैंसर का भी एक कारण हो सकता है। ओरल कैंसर में होंठ, मुंह के अन्य हिस्सों और ओरोफैरिंक्स के कैंसर शामिल हैं। संयुक्त रूप से इसे दुनिया भर में 13वें सबसे आम कैंसर के रूप में चिन्हित किया गया है। वर्ष 2020 में मुंह और होंठ के कैंसर के लगभग चार लाख मामले सामने आए थे, जिनसे पौने दो लाख मौतें होने का अनुमान लगाया गया था।

ओरल कैंसर पुरुषों और बुजुर्गों में अधिक आम है। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक घातक है और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार भिन्न होता है। तंबाकू, शराब और सुपारी का सेवन मुंह के कैंसर के प्रमुख कारण हैं। उत्तरी अमेरिका और यूरोप में एचपीवी वायरस से होने वाला संक्रमण युवाओं में मुंह के कैंसर के बढ़ते प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है। दंत रोग समाज के गरीब और सामाजिक रूप से वंचित सदस्यों को असमान रूप से प्रभावित करते हैं। सामाजिक-आर्थिक स्थिति (आय, व्यवसाय और शैक्षिक स्तर) और मौखिक रोगों की व्यापकता और गंभीरता के बीच एक बहुत मजबूत और सुसंगत संबंध है। यह संबंध बचपन से लेकर बड़ी उम्र तक और उच्च, मध्यम और निम्न-आय वाले देशों की आबादी में मौजूद है। उनका मानना है कि सामान्य जोखिम कारकों पर ध्यान देकर सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप के माध्यम से दंत, अन्य मौखिक रोगों और गैर-संचारी रोगों के बोझ को कम किया जा सकता है।

असल में अधिकांश देशों में मौखिक स्वास्थ्य पेशेवरों का असमान वितरण और जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का अर्थ है कि प्राथमिक मौखिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच अक्सर कम होती है। मौखिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए लागत देखभाल तक पहुंचने में बड़ी बाधाएं हो सकती हैं। आवश्यक मौखिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए भुगतान करना भयावह स्वास्थ्य व्यय के प्रमुख कारणों में से एक है, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक कठिनाई का जोखिम बढ़ जाता है। डब्ल्यूएचओ ने साल 2021 में मौखिक स्वास्थ्य पर एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसमें पारंपरिक उपचारात्मक दृष्टिकोण से हटकर निवारक दृष्टिकोण की ओर बदलाव की सिफारिश की गई है, जिसमें परिवार, स्कूलों और कार्यस्थलों में मौखिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना एवं प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के भीतर समय पर व्यापक और समावेशी देखभाल शामिल है। प्रस्ताव में कहा गया कि मौखिक स्वास्थ्य को एनसीडी एजेंडे में मजबूती से शामिल किया जाना चाहिए और देखभाल हस्तक्षेपों को राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज लाभ पैकेजों में शामिल किया जाना चाहिए।

दंत रोगों से बचाव के लिए डेंटल एक्सपर्ट का कहना है कि कम शर्करा युक्त और अधिक फल व सब्जियों वाले संतुलित आहार को बढ़ावा देना चाहिए। मुख्य पेय के रूप में पानी को प्राथमिकता देनी होगी। वहीं सुपारी चबाने सहित सभी प्रकार के तंबाकू का उपयोग बंद करना होगा। शराब का सेवन बंद करना होगा और खेलकूद करते समय तथा साइकिल या मोटरसाइकिल पर यात्रा करते समय सुरक्षात्मक उपकरणों के उपयोग को प्रोत्साहित करना होगा। यह चेहरे पर चोट लगने के जोखिम को कम करने के लिए बहुत आवश्यक है। दंत क्षय की रोकथाम में फ्लोराइड का पर्याप्त संपर्क एक आवश्यक कारक है। फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट (1000 से 1500 पीपीएम) से दिन में दो बार दांत साफ करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। मधुमेह को पेरियोडोंटल रोग (दांत रोग) के विकास और प्रगति के साथ पारस्परिक रूप से जोड़ा गया है।

इसके अतिरिक्त दैनिक जीवन में भी कुछ सावधानियां बरतते हुए दांतों तथा मुंह के रोगों से काफी सीमा तक बचाव किया जा सकता है। डेंटल एक्सपर्ट कहते हैं कि खट्टा खाने के 30 मिनट बाद तक ब्रश न करें। इससे दांतों को नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि खट्टे फल-जूस के बाद दांतों का इनेमल सॉफ्ट हो जाता है। 45 डिग्री एंगल से चार हिस्सों में बांटकर दांतों की अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए। जबड़े के दाएं बाएं, ऊपर नीचे 30-30 सेकेंड तक ब्रश करें। कच्चे और रेशेदार फल जैसे सेब, नाशपाती, गाजर अधिक से अधिक खाएं। ये सभी दांतों की सतह को स्क्रब कर प्लाक को बाहर निकाल सकते हैं। सबसे अहम बात है कि सोडा, स्पोर्ट्स ड्रिंक और जंक फूड से जितना हो सके बचें, क्योंकि प्लाक के बैक्टीरिया इनमें युक्त चीनी से एसिड बनाते हैं, जो दांतों को हानि पहुंचा सकता है। इस तरह कुछ बातों को ध्यान रखकर दांतों और मुंह के रोगों से बचा जा सकता है।

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