नहीं सुधरता मेवात, सरकार ने खर्च दिए अरबों, अधिकांश मेव मुसलमानों का मुख्य धंधा आज भी ठगी
राजस्थान के भरतपुर और अलवर जिले मेवात क्षेत्र में आते हैं। इस क्षेत्र में मुसलमान समुदाय के मेव बहुतायत में रहते हैं। मेवात को पिछड़ा हुआ मानकर सरकार यहॉं अनेक योजनाएं चला रही है। शिक्षा, विकास आदि के लिए चलने वाली इन योजनाओं में अब तक अरबों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन सरकार मेव मुसलमानों को मुख्य धारा से जोड़ने में असफल रही है। सरकारी प्रयासों से यहॉं के लोगों का शैक्षिक स्तर भले सुधर गया हो लेकिन उनकी जिहादी मानसिकता और आपराधिक लिप्तता में कोई कमी नहीं आई है।
मुस्लिम बहुल मेवात आज भी गोतस्करी, ठगी, अपहरण, चोरी डकैती और टटलूबाजी के लिए कुख्यात है। अब यहॉं के अधिकांश युवा इन वारदातों को अंजाम देने के लिए तकनीकों व आधुनिक साधनों का सहारा लेने लगे हैं। स्मार्ट फोन और सस्ता इंटरनेट आने के बाद यह क्षेत्र अन्य अपराधों के साथ ही डिजिटल लुटेरों के गढ़ के रूप में भी जाना जाने लगा है। भारत में कहीं भी बैंकिंग फ्रॉड हो या सोने की बताकर किसी और धातु की ईंट बेचने का मामला, उसके तार कहीं न कहीं मेवात से अवश्य जुड़े पाए जाते हैं। राजस्थान पुलिस के अधिकारी भी मानते हैं कि मेवात में क्राइम रेट बढ़ा है साथ ही क्राइम के तरीके भी बदले हैं। पुलिस सेवा से रिटायर एक पुलिस अधिकारी कहते हैं कि मेवात में नकली सोने की ईंट बेचने का धंधा पुराना हो गया, अपराध के इस तरीके को लोग जानने लगे हैं, इसलिए आसानी से झांसे में नहीं आते। अब इन लोगों ने साइबर क्राइम के नए नए तरीके अपना लिए हैं।
पुलिस के ही एक और अधिकारी बताते हैं कि आज ऑनलाइन ठगी कई तरह से हो रही है। एक तरीका तो एटीएम का ब्यौरा और ओटीपी पता कर खाते से पैसे निकालने का है। दूसरा तरीका विभिन्न पेमेंट ऐप के जरिए ठगी का है। इसके अलावा ई-कॉमर्स वेबसाइट के माध्यम से सामान बेचने के नाम पर भी आम आदमी को चूना लगाया जाता है। वीडियो चैट के बाद उसका अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने व पैसे ऐंठने के मामले भी खूब सामने आ रहे हैं। वे कहते हैं पुलिस अपने स्तर पर काम करती है लेकिन लोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ अजय पालीवाल कहते हैं, हर टेक्नोलॉजी अपने साथ अच्छाइयां और बुराइयां दोनों लेकर आती है, व्यक्ति क्या चुनता है यह उसके संस्कारों पर निर्भर करता है। मेव मुसलमानों की नई पीढ़ी ने पुरानी पीढ़ी को जैसा देखा वही अपना लिया। फिर ठगी से इन्हें इतनी कमाई हो जाती है कि कोई दूसरा काम इन्हें आकर्षित नहीं करता। इनकी जिहादी ट्रेनिंग इनके अंदर दादागीरी वाला भाव भर देती है और राजनीतिक संरक्षण इन्हें निरंकुश बना देता है।
पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक बड़े साइबर सेक्सटॉर्शन रैकेट का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने इस मामले में भरतपुर के मेवात क्षेत्र से 6 साइबर बदमाशों को गिरफ्तार किया। ये अपराधी इंटरनेट चैटिंग के दौरान वीडियो रिकाॅर्ड कर उसे नग्न तस्वीरों के साथ एडिट करते थे। फिर उसी व्यक्ति के पास यह अश्लील वीडियो भेज इसे वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करते थे। ये सभी मेव मुस्लिम समुदाय से थे।
पिछले दिनों ही पुलिस ने आशिक खान और असद खान निवासी गुलपाड़ा थाना सीकरी को सैनिक बनकर ठगी करते हुए कई मोबाइलों, फर्जी सिमों, एक गाड़ी, एटीएम कार्ड और नकद रुपयों के साथ गिरफ्तार किया। ओएलएक्स पर सस्ता सामान बेच व खरीद कर ठगने के मामलों में मेव गैंग का कोई सानी नहीं। लगभग हर महीने कोई न कोई केस सामने आ ही जाता है। जांच में सामने आया है कि मेवात के साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए असम और तेलंगाना की मोबाइल सिम का प्रयोग करते हैं। कुछ दिन पहले ही पुलिस ने 14000 फर्जी नम्बर पकड़े थे जो कि मेवात के थे। ऐसा नहीं है कि ठगी के इस धंधे में सिर्फ मेव मुसलमान ही हैं, देखा देखी मेवात के अन्य लोग भी अब इसमें हाथ आजमाने लगे हैं।
इस क्षेत्र के लोग ना केवल आसपास के जिलों में बल्कि पूरे देश के 20 से अधिक राज्यों में ठगी की सैकड़ों वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। इन राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, मुंबई, छत्तीसगढ़, गुजरात और केरल शामिल हैं।
इनके द्वारा की जाने वाली साइबर ठगी का नया तरीका सामने आया है। इसमें ठग किसी के अकाउंट को हैक कर लेते हैं और पूरी रकम लूट लेते हैं। इतना ही नहीं वे पैसे निकालने से पहले या बाद में खाताधारक को फोन या मैसेज करते हैं और बताते हैं कि उनका खाता हैक कर लिया गया है। लोगों को उनके मोबाइल पर मैसेज आता है, जिससे उन्हें पता चलता है कि उनके खाते से पैसे निकाल लिए गए हैं।यहीं से ठगों का असली खेल शुरू होता है। जब खाताधारक के खाते से रकम गायब हो जाती है और वह ठग से पैसा वापस करने के लिए कहता है। ऐसे में ठग खाताधारक के सामने शर्त रखता है कि खाताधारक अपने मोबाइल पर आने वाला OTP ठग को बता दे तो वह कुछ राशि वापस कर देगा। ऐसे में जो भी ओटीपी बता देता है उसके खाते से पूरी राशि गायब हो जाती है। यदि खाताधारक अपना ओटीपी ठगों को नहीं बताता है तो उसका पैसा वापस आ सकता है। दरअसल, ठग किसी भी खाते को हैक कर उसमें जमा राशि की एफडी बनवा लेते हैं। ऐसा कुछ ही देर या एक दिन के लिए होता है। यदि उन्हें ओटीपी मिल जाता है तो वे एफडी से सारे पैसे अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। यदि ओटीपी न बताया जाए और बैंक को तुरंत सूचित किया जाए तो पैसा बच सकता है।