मोक्षधाम के लिए युवाओं ने जुटाए 6 लाख 30 हजार रुपए
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गांगड़तलाई, बांसवाड़ा। मनुष्य के सोलह संस्कारों में अंतिम संस्कार है अंत्येष्टि। जो भावपूर्ण होने के साथ ही शोकपूर्ण भी होता है। ऐसे में यदि किसी के अंतिम संस्कार में मुश्किलें आएं तो परिवार का दुख और बढ़ जाता है। खुले में अंतिम संस्कार करने पर कई बार अनचाही परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं। इसी का ध्यान रखते हुए शासन द्वारा पंचायत स्तर पर गॉंव गॉंव में मुक्तिधाम शेड्स के निर्माण कराए गए हैं। लेकिन अभी भी कुछ गॉंव ऐसे हैं जहॉं मोक्षधामों में सुविधाएं नहीं हैं। बांसवाड़ा का गांगड़तलाई कस्बा इसका उदाहरण है। यहॉं 2015-16 में ग्राम पंचायत ने मोक्षधाम की मरम्मत के लिए 5 लाख 50 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की थी। जिससे केवल पिलर अाैर छत की आरसीसी ही डल पाई। इसी बीच जमीनी विवाद के चलते कार्य रुक गया। श्मशान घाट में ग्राम पंचायत ने बोरवेल की व्यवस्था की, लेकिन असामाजिक तत्वों ने उस बोरवेल में पत्थर डाल दिए, जिससे बोरवेल भी बंद हो गया। ग्राम पंचायत की इतनी कवायद के बाद भी लोग परेशान हो रहे थे। उन्हें जूनी गांगड़तलाई जाकर खुले में दाह संस्कार करना पड़ता था। 22 दिसंबर को गांगड़तलाई के कुरीचंद पंचाल की मृत्यु हो गई, उनका अंतिम संस्कार भी खुले में करना पड़ा। इसकाे लेकर समाचार पत्र में एक समाचार प्रकाशित हुआ। जिसके बाद कस्बे के युवाओं ने पहल करते हुए पहले जमीनी विवाद हल करवाया और फिर श्मशान घाट के सृदृढ़ीकरण के लिए सहयोग राशि जुटाने के प्रयास शुरू किए। मात्र तीन दिन में ही राजेश दाेसी, धनपाल टेलर, नरेश प्रजापति, रमेश प्रजापति, मुकेश बोरियाला, चंदूलाल प्रजापति, सोहनलाल कलाल, सुरेंद्र पंचाल, महेश कलाल सहित युवाओं ने 6 लाख 30 हजार नकद रुपए जुटा लिए। नरेश पंचाल और राजमल पंचाल ने पिता कुरीचंद पंचाल की स्मृति में एक कमरा और शव रखने के लिए स्टैंड उपलब्ध कराने की घोषणा की। गिरिराज शर्मा की स्मृति में उनके भतीजे रमेश शर्मा ने श्मशान घाट में सीमेंट की 5 कुर्सियां लगाने, कन्हैयालाल पंचाल द्वारा दरवाजा और शंकरलाल कलाल द्वारा बोरवेल के लिए पानी की मोटर लगवाने की घोषणा की गई। भामाशाहों ने सहयोग के लिए 11 सौ से लेकर 51 हजार रुपए तक की सहयोग राशि भेंट की। उत्साहित युवाओं ने रविवार को ही मोक्षधाम पर मरम्मत और निर्माण कार्य का शुभारंभ भी कर दिया।