रक्तदान महादान

रक्तदान महादान

देवेंद्र पुरोहित

रक्तदान महादानरक्तदान महादान

 

आज विश्व रक्तदान दिवस (14 जूनहै। रक्तदान जीवनदान से कम नहीं। रक्तदान दिवस लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित कर उनसे जीवन बचाने का आग्रह करता है। यह प्रति वर्ष एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है ताकि लोगों को प्रभावी संदेश दिया जा सके। इस बार की थीम Give Blood Save Life है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 जून को ही विश्व रक्तदाता दिवस के तौर पर क्यों चुना?

14 जून प्रसिद्ध ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और भौतिकीविद कार्ल लेण्डस्टाइनर का जन्मदिन है। उन्हें वर्ष 1930 में रक्त में अग्गुल्युटिनिन (agglutinin) की उपस्थिति के आधार पर रक्त का अलग अलग रक्त समूहों – ए, बी, ओ में वर्गीकरण करने के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

मिले स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा

वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली है। वर्ष 1997 में संगठन ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को ही बढ़ावा दें। उद्देश्य यह था कि रक्त की आवश्यकता पड़ने पर किसी को उसके लिए पैसे न देने पड़ें, परंतु अभी तक लगभग 49 देशों ने ही इस पर अमल किया है। तंजानिया जैसे देश में 80 प्रतिशत रक्तदाता पैसे नहीं लेते। ब्राजील में तो यह क़ानून है कि आप रक्तदान के पश्चात् किसी भी प्रकार की सहायता नहीं ले सकते।ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ कुछ अन्य देश भी हैं, जहाँ पर रक्तदाता पैसे नहीं लेते। भारत में रक्तदान के लिए पैसे लेने पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। लेकिन यहॉं अनेक रक्तदाता इसे ईश्वरीय कार्य मानते हैं और स्वैच्छिक रक्तदान करते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अंतर्गत भारत में प्रति वर्ष एक करोड़ यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है, लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी लगभग 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैकड़ों लोग दम तोड़ देते हैं। राजधानी दिल्ली में आंकड़ों के अनुसार जितने यूनिट रक्त की आवश्यकता रहती है, स्वैच्छिक रक्तदान से इसका 30 प्रतिशत ही जुट पाता है। आज भारत की जनसंख्या भले ही सवा अरब पहुंच गयी हो, रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल जनसंख्या का एक प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाया है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कुल रक्तदान का 59 प्रतिशत रक्तदान स्वैच्छिक होता है। जबकि राजधानी दिल्ली में तो स्वैच्छिक रक्तदान का आंकड़ा केवल 32 प्रतिशत ही है। रक्तदान को महादान मानते हुए लोगों को इसके लिए जागरूक व प्रेरित करने हेतु भारत प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाता है। इस दिन जगह जगह रक्तदान शिविर लगते हैं और लोग स्वैच्छिक रक्तदान हेतु इकट्ठे होते हैं। समाज में महान परिवर्तन लाने, जीवनरक्षक उपायों का अनुसरण करने, बच्चे के जन्म से संबंधित जटिलताओं, सड़क यातायात दुर्घटनाओं और कई आकस्मिक परिस्थितियों से निकलने में रक्तदान की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाना व रक्तदान के लिए प्रेरित करना ही इस दिवस का उद्देश्य है।

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