रात के बाद दिन निकल ही आएगा (कविता)

रात के बाद दिन निकल ही आएगा (कविता)

आशीष योगी

रात के बाद दिन निकल ही आएगा (कविता)

हो कठिन समय कितना भी
गुजर जाएगा,
जो विचलित होगा
वह कभी न जीत पाएगा,
तू भूल मत
रात के बाद
दिन निकल ही आएगा।

जो आपदा को अवसर में बदल पाएगा
वही तो इस परेशानी से निकल पाएगा,
जब दौड़ शुरू होगी, तू अपने आप को
सबसे आगे पाएगा,
रात के बाद दिन निकल ही आएगा।

मन को नियंत्रण में रख,
भविष्य से प्यार कर,
वर्तमान में जी,
जीतकर तू ही आएगा,
वर्तमान के क्षणिक सुख के लिए
भविष्य की बर्बादी करना बंद कर,
दूसरों के लिए नहीं तो अपने लिए ही
कुछ कर पाएगा,
तू भूल मत
रात के बाद
दिन निकल ही आएगा।

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