राम नाम की अलख
विष्णु शर्मा ‘हरिहर’
राम नाम की अलख जगाओ,
जागो प्रातःकाल।
तन-मन दोनों स्वस्थ रहेंगे,
होंगे मालामाल।
आशाओं के फूल खिलेंगे,
खुशबू चारों ओर।
जल-थल अंबर करें वंदना,
नाच उठे मन मोर।
पल भर में ही कट जाएंगे,
भव बंधन के जाल।
राम नाम की अलख जगाओ,
जागो प्रातः काल।।1।।
तेरी मेरी छोड़ो भैया,
चलो सत्य की राह।
सबके हित की करो कामना,
पूरी होगी चाह।
कभी न हरिहर समय ठहरता
नर्तन करता काल।
राम नाम की अलख जगाओ,
जागो प्रात:काल।।२।।
वर्तमान को अच्छा कर लो,
यही समय की माँग।
भूले से भी कभी न खींचो,
इक दूजे की टांग।
दो अक्षर से कट जाएंगे ,
झूठ कपट के जाल।
राम नाम की अलख जगाओ,
जागो प्रातःकाल।।३।।
काम क्रोध छल दंभ लोभ तो
पल में होंगे दूर।
पूर्ण समर्पण भाव जगेगा,
निष्ठा पूरमपूर।
सार्थक होगा आना-जाना,
दमक उठेगा भाल।
राम नाम की अलख जगाओ,
जागो प्रातःकाल।।4।।