राष्ट्र और मानवता के कल्याण हेतु धर्मानुकूल आचरण आवश्यक

कृष्णमोहन झा
राष्ट्र और मानवता के कल्याण हेतु धर्मानुकूल आचरण आवश्यक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गत दिवस गुजरात के वलसाड जिले के धरमपुरा में स्थित सद्गुरु धाम में श्री भावभावेश्वर महादेव मंदिर के रजत जयंती समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से सचेत किया कि भय अथवा प्रलोभन का दैनिक जीवन में सामना करना पड़ सकता है और ये लोगों को उनके धर्म से दूर ले जा सकते हैं। लेकिन धर्म ही खुशी की ओर ले जा सकता है। धर्म हमें जोड़ता है और सही रास्ते पर ले जाता है। इसीलिए भय या प्रलोभन के प्रभाव में आकर लोगों को रिलीजियस कन्वर्जन नहीं करना चाहिए। सरसंघचालक ने कहा कि हम एकजुट होना जानते हैं और एकजुट होना भी चाहते हैं। हम किसी से लड़ना नहीं चाहते, लेकिन आज भी कुछ ऐसी शक्तियां हैं, जो चाहती हैं कि हम अपने आप को बदल लें, हमें इनसे बच कर रहना है।
सरसंघचालक ने महाभारत काल का एक दृष्टांत देते हुए कहा कि उस काल में रिलीजियस कन्वर्जन का प्रयास करने वाली शक्तियां नहीं थीं, लेकिन दुर्योधन ने पांडवों का राज्य हड़पने के लिए जो कुछ किया, वह अधर्म था। सरसंघचालक ने दैनिक जीवन में धार्मिक आचरण को व्यवहार में लाने का आह्वान करते हुए कहा कि लालच और भय हमें अपनी आस्था से विमुख करते हैं, इसीलिए सद्गुरु धाम जैसे स्थलों का निर्माण किया गया है। लोगों में धार्मिक चेतना के प्रचार प्रसार हेतु सद्गुरु धाम द्वारा संचालित गतिविधियों एवं कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह संस्थान सुदूर जनजाति क्षेत्रों में जाकर जनजातियों के उत्थान के लिए सामाजिक गतिविधियों का संचालन कर रहा है। अतीत में जब इस तरह के केंद्रों का अभाव था, तब तपस्वी गांव गांव में अपने सत्संग कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को धर्म के मार्ग पर दृढ़ रखते थे। लेकिन अब जनसंख्या बढ़ जाने से सद्गुरु धाम जैसे केंद्र बन गये हैं, जहां समाज के लोग एकत्र हो कर पूजा करते हैं और आध्यात्मिक सत्संग का लाभ प्राप्त करते हैं। यहां उन्हें कला का अभ्यास करने का अवसर भी मिलता है। सरसंघचालक ने अपनी इस बात को रेखांकित किया कि सद्गुरु धाम जैसे आध्यात्मिक केंद्र लोगों को कन्वर्ट नहीं करते, बल्कि उन्हें अपने धर्म पर दृढ़ रहकर धर्म के अनुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। ऐसे केंद्रों को मजबूत करना हमारा दायित्व है। इसी से हमारा कल्याण, राष्ट्र की सेवा और संपूर्ण मानवता का कल्याण सुनिश्चित होगा। भागवत ने कहा कि धर्म के अभाव में मनुष्य बुरी आदतों में पड़कर जीवन बर्बाद कर लेता है और धर्म के अनुसार आचरण करने से समाज और राष्ट्र का कल्याण होता है। यही हमारे राष्ट्र की प्रगति भी सुनिश्चित करता है। भागवत ने कहा कि हमारा सनातन धर्म किसी के प्रति दुर्भावना नहीं रखता, इसीलिए सारी दुनिया भारत की ओर देख रही है। सरसंघचालक ने कहा कि भारत को अपनी आध्यात्मिक परंपरा के मार्ग पर सतत अग्रसर रहना चाहिए क्योंकि सारी दुनिया मानती है कि भारत के पास ही इस क्षेत्र में पूरे विश्व का नेतृत्व करने का सामर्थ्य है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के वलसाड जिले के अंतर्गत धरमपुरा की हरी-भरी पहाड़ियों के मध्य बसा श्री सदगुरु धाम पिछले ढाई दशकों से दक्षिण गुजरात में विशेष धार्मिक एवं आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। श्री सद्गुरु धाम में निर्मित भगवान भाव भावेश्वर के भव्य मंदिर में दर्शन लाभ हेतु प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। इस भव्य मंदिर के रजत जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सरसंघचालक मोहन भागवत की उपस्थिति ने इस समारोह को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। 30 मार्च से 6 अप्रैल तक यहां शिव पुराण कथा का आयोजन किया गया, जिसे सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। लगभग एक माह तक चलने वाले रजत जयंती समारोह में प्रथम दिवस से ही दूर दूर से श्रद्धालुओं के आगमन का क्रम जारी है।
(लेखक राजनैतिक विश्लेषक हैं)