लव जिहाद काल्पनिक नहीं यथार्थ है

लव जिहाद काल्पनिक नहीं यथार्थ है

लव जिहाद काल्पनिक नहीं यथार्थ है

जयपुर। राजस्थान का पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश लव जिहाद के समाधान के लिए कड़ा कानून ला रहा है। दूसरे पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश भी ऐसे ही कानून की लाने की तैयारी में हैं। वहीं राजस्थान में इस कानून पर चर्चा तो दूर उल्टा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लव जिहाद शब्द को सिरे सेनकारते हुए, भविष्य में इस पर कोई कानून नहीं लाने का अघोषित संदेश दे दिया है। वहीं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर कथित लव जिहाद जैसे कृत्य का समर्थन भी कर दिया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या लव जिहाद कोरी कल्पना है?

राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में लव जिहाद के कई प्रकरण सामने आ चुके हैं। एक मामले में तो उच्च न्यायालय ने भी सरकार से मतांतरण के नियम स्पष्ट करने के लिए कहा है, लेकिन राजस्थान में इसके भी नियम स्पष्ट नहीं हैं। जबरन मतांतरण के विरुद्ध लाया गया धर्म स्वातंत्र्य विधेयक भी पिछले दस वर्षों से ज्यादा समय से केन्द्र व राज्य के बीच ही अटका हुआ है। यह कानून लागू हो जाए तो लव जिहाद के लिए अलग विधान की आवश्कता नहीं होगी। लव जिहाद के मामले में राजस्थान के हालात मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश या हरियाणा जैसे ही हैं, बल्कि कई जिलों में तो स्थिति खराब ही होगी। वहीं एक आशंका यह भी है कि यदि तीन पड़ोसी राज्यों में कानून बनेंगे तो ऐसे मामले राजस्थान में बढ़ सकते हैं।

मध्यप्रदेश ने हाल ही में लव जिहाद के मामले में पांच साल तक के कठोर कारावास की सजा वाले कानून को लागू करने की घोषणा की है। भाजपा शासित अन्य राज्य भी ऐसा ही कानून लाने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें हरियाणा और उत्तर प्रदेश भी शामिल हैं। मध्य प्रदेश से राजस्थान का धौलपुर से लेकर कोटा सम्भाग और नीचे प्रतापगढ, बांसवाड़ा तक का क्षेत्र जुड़ता है। वहीं हरियाणा से अलवर, भरतपुर और ऊपर चूरू, झुंझुनूं जुड़ा हुआ है। हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश लव जिहाद के विरुद्ध कानून लाते हैं, तो इन सीमावर्ती जिलों में ऐसे मामले बढ़ने की आशंका है, क्योंकि यह काम करने वाले फिर राजस्थान आ कर इन हरकतों को अंजाम देंगे।

राजस्थान में लव जिहाद के मामलों की बात करें तो कोई आधिकारिक रिकॉर्ड तो उपलब्ध नहीं है, क्योंकि इसके लिए कानून यहां नहीं है और ना ही इसे किसी तरह के अपराध की श्रेणी में गिना जाता है। ऑनर किलिंग को जरूर यहां की सरकार ने अपराध मानते हुए एक कानून पिछले वर्ष पारित किया था, लेकिन ऑनर किलिंग का मामला लव जिहाद से तभी जुड़ता है, जब ऐसे मामले में कोई हत्या या हिंसा की घटना हुई हो। पिछले दो तीन वर्षों की बात करें तो जोधपुर, उदयपुर, बाड़मेर से लेकर सीकर, जयपुर, कोटा, अजमेर व राजसमंद तक कई जगह ये मामले सामने आ चुके हैं। एक मामले में तो राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश तक दिए कि स्पष्ट करें कि राज्य में मतांतरण से जुड़े कानूनी प्रावधान क्या हैं? न्यायालय ने इस मामले में पुलिस की लापरवाही पर नाखुशी जताई, जिसने परिवार की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने से मना कर दिया था। अदालत ने पूछा कि पुलिस कैसे मान सकती है कि महज दस रुपये के स्टांप पेपर पर शपथपत्र देने से लड़की का मतान्तरण कानूनन वैध है जबकि कानून में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। पीड़िता के भाई ने याचिका में दावा किया कि एक जेहादी लड़का लंबे समय से उसकी बहन से छेड़छाड़ करता था और जब वह कॉलेज जा रही थी तो उसने अपहरण कर लिया। भाई ने आरोप लगाया कि परिवार के लोग जब उसका पता नहीं लगा सके, तो उन्होंने पुलिस में शिकायत की जहॉं यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज करने से मना कर दिया गया कि आरोपी शादी का सबूत पेश कर चुका है और उसने महिला के मतांतरण का हलफनामा दिया है। मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगते हुए अदालत ने पुलिस से कहा कि वह लड़की के कथित हलफनामे की सच्चाई की जांच करे।

वैसे राजस्थान में लव जिहाद का केन्द्र हरियाणा से लगता मेवात का इलाका बताया जाता है। इस इलाके में काम कर रहे संगठन और लोग बताते हैं कि इस पूरे इलाके में ये मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन चूंकि यहां मेवाती मुस्लिमों की बहुतायत है, इसलिए ऐसे अधिकांश मामले सामने आ ही नहीं पाते। हिन्दू बालिकाओं पर बलात मतांतरण का दबाव डाला जाता है और परिवार की सुरक्षा के लिए उन्हें यह मानना भी पड़ता है। इनके अलावा अजमेर, सीकर, जयपुर सवाईमाधोपुर में भी ऐसे मामले काफी संख्या में आते रहे हैं।

लव जिहाद के मामलों में काफी सक्रियता से काम कर रहीं सरिता बताती हैं कि ऐसे मामले किसी एक क्षेत्र से आ रहे हों, ऐसा नहीं है। पूरे प्रदेश में एक जैसे ही हालात हैं। हमारी संस्था अब तक ऐसे 200-250 मामले देख चुकी है और यह मान कर चलिए कि ये कुल मामलों का मात्र 10 प्रतिशत ही हैं, क्योंकि अधिकतर मामले तो सामने ही नहीं आते। लड़की इतनी अधिक पीड़ित हो चुकी होती है कि वह परिस्थितियों से समझौता कर लेती है और उसके परिजन भी सब स्वीकार कर लेते हैं। सरिता सैनी बताती हैं कि कम उम्र की लड़कियां तो फिर भी समझाने पर लौट आती हैं, लेकिन अधिक उम्र की महिलाएं या बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी लड़कियों या महिलाओं को वापस लाना कठिन होता है। ये तभी वापस आने के लिए तैयार होती हैं जब पीड़ा की सीमा पार हो चुकी हो। सरिता बताती हैं कि निर्धन परिवारों के मामले में तो पुलिस व प्रशासन का सहयोग भी नहीं मिल पाता है। ये परिवार पुलिस के सामने गिड़गिड़ाते हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं करती। अधिकतर मामलों में लड़के अपना नाम बदल कर आते हैं और फिर बाद में लड़कियों को वास्तविकता पता चलती है। फिर निकाह के समय उनका नाम बदलने से मतांतरण की शुरूआत होती है। लड़कियों की पहचान, संस्कृति सब कुछ मिट जाती है। सरिता मानती हैं कि लव जिहाद के खिलाफ कानून आए तो ऐसे मामलों पर काफी हद तक रोक लग सकती है। हाल में जयपुर आए विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने भी माना कि लव जिहाद का मुद्दा गम्भीर हो गया है। अब तक झूठ बोल कर या धमकी देकर लव जिहाद की घटनाएं हो रही थीं, लेकिन अब हत्याएं तक हो रही हैं। वहीं अजमेर से विधायक वासुदेव देवनानी ने भी लव जिहाद के विरुद्ध राजस्थान में कानून बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि हिन्दू और इसाई समाज लम्बे समय से यह मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। खुद मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग है, लेकिन प्रदेश की बेटियां इस षड्यंत्र का शिकार हो रही हैं। पहले केरल व कर्नाटक में ही ऐसे मामले सामने आ रहे थे, लेकिन अब सब जगह होने लगे हैं।

दस वर्ष से भी अधिक समय से अटका हुआ है धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 

कानूनी जानकारों की मानें तो राजस्थान में जिस तरह से यह मामले बढ़ रहे है, उन्हें देखते हुए राजस्थान में भाजपा अपने पहले कार्यकाल में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक लेकर आई थी और इसे पारित भी कर दिया था। इस कानून में जबरन मतांतरण पर रोक के खिलाफ कानूनी प्रावधान थे। लेकिन तब से अब तक यह कानून लागू नहीं हो पाया है, क्योंकिे इस पर केन्द्र सरकार की स्वीकृति की आवश्यकता है। प्रदेश में चूंकि सरकार बार-बार बदल रही है इसलिए इस कानून पर कुछ हो ही नहीं पा रहा है। भाजपा सत्ता में होती है तो इस पर काम आगे बढ़ता है और जैसे ही कांग्रेस सत्ता में आती है, कार्रवाई ठप हो जाती है। भाजपा ने अपने पिछले कार्यकाल में 2017-18 में केन्द्र से इस कानून के बारे में राज्य सरकार की मंशा पूछे जाने पर इसे लागू करने की इच्छा प्रकट की थी, लेकिन इसके बाद यहां फिर सत्ता परिवर्तन हो गया और अब तक इस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। जानकार बताते हैं कि एक बार यह कानून लागू कर दिया जाए तो राजस्थान में लव जिहाद पर कुछ अंकुश लगाया जा सकता है, क्योंकि कानून जबरन या लोभ लालच दे कर धर्म परिवर्तन कराने पर रोक लगाता है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लव जिहाद शब्द को भाजपा की कल्पना बताते हुए एक के बाद एक तीन ट्वीट किए। गहलोत ने लिखा ‘लव जिहाद’ शब्द भाजपा की ओर से गढ़ा गया है ताकि साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़कर देश को बांटा जा सके। “शादी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, इस पर अंकुश लगाने के लिए कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह कानून किसी भी न्यायालय में नहीं टिक पाएगा। प्रेम में जिहाद की कोई जगह नहीं है।” भाजपा पर आरोप लगाते हुए गहलोत ने आगे लिखा “वे (भाजपा) देश में ऐसा वातावरण निर्मित कर रहे हैं, जहां सहमति रखने वाले व्यस्क सरकार की दया पर होंगे। विवाह एक व्यक्तिगत निर्णय है और ये लोग उस पर अंकुश लगा रहे हैं, यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनने जैसा है।”

मुख्यमंत्री गहलोत ने अंतिम ट्वीट में लिखा है “यह सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, सामाजिक तनाव को बढ़ावा देने और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने की चाल जैसी प्रतीत होता है। राज्य किसी भी आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता है।”

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2 thoughts on “लव जिहाद काल्पनिक नहीं यथार्थ है

  1. यह बहुत ख़तरनाक है कुछ राज्यों द्वारा जो कानून बनाए गए है वह अत्यावश्यक है राजस्थान सरकार को भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इसे लागू करना चाहिए

  2. लव जेहाद पर कानून लाने की जरूरत है, गहलोत जी तो खुद के बारे में ही सोच रहे है, जनता इन्हे जरूर जवाब देगी……

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