लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर चोट, मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज

लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर चोट, मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज

लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर चोट, मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज

  • महाराष्ट्र में कुचली गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  • अर्नब की गिरफ्तारी का चौतरफा विरोध
  • दिल्ली के वकील ने मानवाधिकार आयोग में की शिकायत
  • लोगों ने कहा आपातकाल की याद आ गई

नई दिल्ली स्थित कानूनी फर्म अथर्व लीगल एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर, वकील सिद्धार्थ नायक ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ, अर्नब गोस्वामी की गैरकानूनी और राजनीतिक रूप से प्रेरित गिरफ्तारी के विरुद्ध राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक शिकायत दर्ज कराई है। चार नवम्बर को दर्ज शिकायत में अर्नब गोस्वामी के साथ अन्याय पूर्ण रवैये, उन पर हमला करने, उनके व उनके परिवार के साथ दुर्व्यवहार करने तथा बिना सम्मन दिए घर में घुसकर गिरफ्तार करने के आरोप लगाते हुए मुंबई पुलिस और रायगढ़ पुलिस के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की गई है।

स्थिति की गंभीरता को उजागर करते हुए शिकायत में कहा गया है कि आज सुबह 07:45 बजे सशस्त्र पुलिस की एक बटालियन ने गोस्वामी के घर में प्रवेश किया और उन पर हमला किया। महाराष्ट्र की रायगढ़ पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले उन्हें बाल पकड़ कर पुलिस वैन में घसीटा गया। घर में घुसने और एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय टीवी समाचार पत्रकार पर हमला करने से पहले पुलिस ने समाचार कैमरों को जबरदस्ती बंद कर दिया। यहां तक ​​कि पुलिस ने गोस्वामी के बुजुर्ग माता-पिता, ससुराल वालों व बेटे के साथ भी दुर्व्यवहार किया। अवैधानिक कार्रवाई करने से पहले पुलिस द्वारा कोई सम्मन भी नहीं दिया गया। गोस्वामी के साथ बिना सबूतों के एक कठोर अपराधी की तरह व्यवहार किया गया। समाज के प्रतिष्ठित नागरिक व पत्रकार के तौर पर उनकी प्रतिष्ठा की पूरी तरह से अवहेलना की गई।

अर्नब गोस्वामी के परिवार के सदस्यों के अनुसार, गोस्वामी को गिरफ्तार करने वाले मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन हिंदुराव वज़े, एक एनकाउंटर विशेषज्ञ हैं, जो 2003 में ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत के आरोपों के अलावा 63 अतिरिक्त-न्यायिक मर्डर के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने गोस्वामी की गिरफ्तारी के दौरान धमकी देते हुए कहा, “आप नहीं जानते कि मैं क्या करने में सक्षम हूं।”

सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वज़े को वर्ष 2007 में निलंबित कर दिया गया था। लेकिन हाल ही में मुंबई पुलिस आयुक्त की अगुवाई में एक समिति ने कोविड ​​19 महामारी के दौरान पुलिस अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए उन्हें व तीन अन्य पुलिसकर्मियों राजेंद्र तिवारी, कजाराम निकम और सुनील देसाई को 6 जून, 2020 को एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से बहाल कर दिया था। एपीआई सचिन वजे नौगांव पुलिस मुख्यालय में तैनात था। सचिन वजे ने बताया कि गोस्वामी को धारा 306 आईपीसी के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। उल्लेखनीय है कि उन पर 2018 में एक आर्किटेक्ट को आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया गया था, बाद में उस केस को बंद भी कर दिया गया। लेकिन अब उसी केस की फाइल फिर से खोलते हुए गोस्वामी की गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई है।

समाचार स्रोतों के अनुसार, गोस्वामी की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक ने अपनी सहमति नहीं दी थी, इसलिए महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और मुंबई के सीपी परम बीर सिंह ने इस मुद्दे पर मुलाकात की और एसपी रायगढ़ को गोस्वामी की गिरफ्तारी के लिए सीधे सीएम कार्यालय से आदेश दिए गए।

कुछ पुलिस अधिकारियों के कारण मुंबई पुलिस पहले भी बदनाम होती रही है। अप्रैल 2020 में, मुंबई में 40 वर्षीय सिविल इंजीनियर अनंत करमूस को अवैध रूप से मुंबई पुलिस कर्मियों द्वारा एनसीपी मंत्री जितेंद्र अवध के बंगले में ले जाया गया था, जहां मंत्री के लोगों ने सोशल मीडिया पर मॉर्फ फोटो पोस्ट करने के लिए उनकी पिटाई की थी। और अब लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर सीधा हमला, बिना सबूतों या सत्य तथ्यों के बंद मामले को खोलकर एक पत्रकार की गैर-कानूनी रूप से गिरफ्तारी बेहद चौंकाने वाली है। इससे महाराष्ट्र सरकार व पुलिस में लोगों का विश्वास कम हुआ है।

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