वक्फ एक्ट 1995: जिसने वक्फ बोर्ड को बना दिया भूमाफिया
वक्फ एक्ट 1995: जिसने वक्फ बोर्ड को बना दिया भूमाफिया
वक्फ बोर्ड अभी चर्चा में है। जानकारी में आया है कि तमिलनाडु में त्रिची जिले के पूरे के पूरे तिरुचेंथुरई गांव पर वक्फ बोर्ड अपना मालिकाना हक बता रहा है। मामला तब संज्ञान में आया, जब गॉंव का ही राजगोपाल नाम का व्यक्ति अपनी एक एकड़ जमीन बेचने के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचा। वहॉं उसे बताया गया कि यह जमीन तो तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की है, इसे बेचने के लिए उसे वक्फ बोर्ड से NOC लाना होगा। बात खुली तो पता चला त्रिची जिले का तिरुचेंथुरई गॉंव ही नहीं, यहॉं के कम से कम 6 और गांव ऐसे हैं, जिन्हें वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित किया हुआ है। इन सभी गांवों में 90% से अधिक जनसंख्या हिन्दुओं की है। तिरुचेंथुरई गॉंव में 1500 साल पुराना एक मंदिर भी है, तमिलनाडु वक्फ बोर्ड उसे भी अपना बता रहा है।
क्या है वक्फ बोर्ड?
वक्फ बोर्ड एक मजहबी संस्था है, जिसके सदस्य सिर्फ मुसलमान ही हो सकते हैं, जिनमें एक सांसद, एक विधायक, एक टाउन प्लैनर, एक स्कॉलर और एक मुतवल्ली शामिल हैं। भारत में वक्फ संस्थाओं का अस्तित्व 800 वर्षों से है, जिनकी शुरुआत मुस्लिम बादशाहों द्वारा दान की गई जमीनों की देखभाल करने से हुई थी। इन संस्थाओं के रेगुलेशन के लिए 1923 में पहली बार वक्फ एक्ट बना। तब इस एक्ट में बस इतना ही था कि यदि कोई मुसलमान अपनी सम्पत्ति अल्लाह को देना चाहता है, तो वो ऐसा कर सकता है, उसकी सम्पत्ति कि देखरेख वक्फ संस्थाएं करेंगी। 1954 में वक्फ एक्ट में पहला और 1984 में राजीव गांधी के समय दूसरा संशोधन हुआ। राजीव गांधी ने इसे विशेषाधिकार दिए, लेकिन 1995 में तीसरे संशोधन के बाद, जब नया वक्फ एक्ट 1995 लाया गया, तब इसे प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार भी दे दिए गए। और फिर वर्ष 2013 में जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, तब उन्होंने वक्फ एक्ट में नए संशोधन कर वक्फ बोर्ड की शक्ति को असीमित कर दिया। इस समय भारत में एक केंद्रीय वक्फ बोर्ड और 32 राज्य वक्फ बोर्ड हैं।
क्या कहता है वक्फ एक्ट?
वक्फ एक्ट की धारा 36 और धारा 40- ये धाराएं यह कहती हैं कि वक्फ बोर्ड किसी की भी सम्पत्ति को चाहे वह प्राइवेट हो, सोसाइटी की हो या फिर किसी भी ट्रस्ट की, उसे अपनी सम्पत्ति घोषित कर सकता है। (बस उसे लगना चाहिए कि वे किसी न किसी तरह से मुसलमानों से सम्बंधित हैं या रही हैं)
धारा 40 (1)- यदि वक्फ बोर्ड किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को वक्फ सम्पत्ति घोषित कर देता है तो यह भी आवश्यक नहीं कि वह उस व्यक्ति को ऐसे किसी आदेश की कॉपी दे। और यदि तीन वर्ष के अंदर उस व्यक्ति ने वक्फ बोर्ड के विरुद्ध कोई अपील नहीं की तो वह सम्पत्ति वक्फ बोर्ड की मानी जाएगी (भले ही इन तीन वर्षों में उस व्यक्ति को पता ही न हो कि वक्फ बोर्ड ने उसकी सम्पत्ति को अपना घोषित कर रखा है)।
Sec 52 और Sec 54- जो सम्पत्ति वक्फ सम्पत्ति घोषित हो जाएगी, उसके बाद वहॉं जो रह रहा होगा वो “ENCROCHER” माना जाएगा। उसके बाद वक्फ बोर्ड जिलाधिकारी को वह स्थान खाली कराने के निर्देश देगा।
Sec 28 और sec 29- इन सेक्शंस के अंतर्गत स्टेट मशीनरी एवं जिलाधिकारी वक्फ बोर्ड के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य होंगे।
धारा 85- इसके अंतर्गत यदि कोई मामला वक्फ से संबंधित है तो आप सिविल सूट दायर नहीं कर सकते। बल्कि आप ऐसे मामलों को “सुलझाने” के लिए बनाए गए “वक्फ ट्रिब्यूनल” में जाने के लिए बाध्य होंगे।
धारा 89- इस धारा के अंतर्गत यदि पीड़ित सिविल कोर्ट जाना चाहता है तो उसे वक्फ बोर्ड को दो महीने का नोटिस देना होगा।
धारा 101- इस धारा के अंतर्गत वक्फ बोर्ड के सदस्यों को Public Servant माना गया है। उन्हें सैलरी सरकारी खजाने से दी जाती है।
तो यह है हमारा सेक्युलर भारत। जहॉं सेक्युलर होने का अर्थ है मुसलमानों को विशेषाधिकार पर विशेषाधिकार देते जाना। आज स्थिति यह हो गई है कि वक्फ बोर्ड स्वयं ही स्मारकों पर अतिक्रमण करवाता है। पहले मुसलमानों से कहा जाता है कि वे वहॉं नमाज पढ़ें, फिर उसे इबादत स्थल घोषित कर वक्फ बोर्ड अपना दावा ठोंक देता है। ताजमहल जैसे स्मारक इसका उदाहरण हैं।