वामपंथियों ने भारत को मजहब के नाम पर बांटने का काम किया: डॉ. गीता भट्ट

वामपंथी

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नोएडा। प्रेरणा मीडिया द्वारा – वामपंथियों का काला सच – विषय पर चार दिवसीय विचार शृंखला के दूसरे दिन शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉन कॉलेजिएट विमेंस एजुकेशन बोर्ड की निदेशक डॉ. गीता भट्ट ने सेमिनार को संबोधित किया।

डॉ. गीता भट्ट ने कहा कि भारत की आजादी के समय वामपंथियों ने भारत को मजहब के नाम पर बांटने की बौद्धिक खेती लगाने का काम किया। उन्होंने कहा कि उस समय के वामपंथी नेता सज्जाद जहीर जो वामपंथियों का एक बड़ा नाम थे उन्होंने जिन्ना का समर्थन किया। पाकिस्तान बनने के बाद सज्जाद जहीर ने पाकिस्तान जाकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ पाकिस्तान की स्थापना की लेकिन जिन्ना ने सज्जाद जहीर को और उसकी कम्युनिस्ट पार्टी को सत्ता से बिल्कुल अलग कर दिया। पाकिस्तान में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ पाकिस्तान को बैन कर दिया गया और सज्जाद जहीर को जेल में डाल दिया गया। पाकिस्तान जेल से छूटने के बाद सज्जाद जहीर वापस भारत आ गया। यह आश्चर्य की बात है जवाहरलाल नेहरू ने सज्जाद जहीर को भारत में पनाह दे दी और उसने अपनी विचारधारा को यहां पर भी फैलाया और मजहबी एकता को खंडित करने का काम किया।

उन्होंने कहा कि वामपंथी विचारधारा दो आधारों पर काम करती है उसमें से एक है रूस और चीन की अंधभक्ति और दूसरा है सनातन धर्म का विरोध। उन्होंने कहा कि वामपंथी आजादी से पहले से ही अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में लगे रहे और विभाजन के कुछ समय बाद जब ईस्ट पाकिस्तान में 1950 में वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार हुए तो उन्होंने इसका विरोध नहीं किया बल्कि इसके उलट सभी कम्युनिस्ट पार्टियों ने साथ में आकर यूनाइटेड कम्युनिस्ट रिफ्यूजी कैंप संस्था बनाकर पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान से आने वाले मुसलमानों के लिए सुविधाओं की मांग की लेकिन हिंदुओं के बारे में नहीं सोचा।

डॉ. गीता भट्ट ने कहा कि वामपंथियों ने केरल और पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण किया और हिंसा और हत्या को राजनीतिक हथियार बनाकर वहां पर सत्ता प्राप्त की। डॉ. गीता भट्ट के अनुसार वामपंथियों के नेता बुद्धदेब भट्टाचार्य ने यह माना था कि 1977 से 1996 तक पश्चिम बंगाल में 26000 राजनीतिक हत्याएं हुई थी। केरल में भी वामपंथियों द्वारा किए गए राजनीतिक हत्याओं का एक लंबा इतिहास रहा है।

जब तस्लीमा नसरीन की किताब के विरोध में मुसलमानों ने 2007 में पश्चिम बंगाल में हिंसा की तो इन वामपंथियों ने उसकी भर्त्सना नहीं की थी। इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में भारत में थोपे गए आपातकाल का भी इन वामपंथियों ने समर्थन किया था और उसको अनुशासन पर्व की संज्ञा देकर उस समय के नेता जयप्रकाश नारायण को फासिस्टवादी बताया था। डॉ. गीता भट्ट ने कहा कि वामपंथियों ने भारत की गरिमामई छवि को हमेशा दागदार किया है। भारत की छवि और सनातन संस्कृति को वामपंथी अपना पहला दुश्मन मानते हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. विशेष गुप्ता ने कहा कि वामपंथियों ने भारत की आजादी को कभी भी स्वीकार नहीं किया और हमेशा भारत को भाषाओं के आधार पर 17 टुकड़े करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वामपंथियों ने महात्मा गांधी की अहिंसात्मक विचारधारा में भी समाजवाद के दर्शन नहीं किए। वामपंथियों ने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को देशद्रोही और आतंकवादी की संज्ञा दी उन्होंने हमेशा नक्सलवाद को बढ़ावा दिया और देश में अशांति फैलाने का कारण बने।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर प्रचार प्रमुख डॉ अनिल त्यागी ने की जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री कृपा शंकर उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संयोजन कर रही श्रीमती अनुपमा अग्रवाल ने बताया कि शनिवार को आयोजित व्याख्यान को दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र सिंह नेगी और रविवार को सुप्रीम कोर्ट की प्रख्यात अधिवक्ता श्रीमती मोनिका अरोड़ा संबोधित करेंगी।

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