विघटनकारी शक्तियों का एजेंडा विफल करने में प्रबुद्ध जनों की अहम भूमिका- महेंद्र सिंघल

विघटनकारी शक्तियों का एजेंडा विफल करने में प्रबुद्ध जनों की अहम भूमिका- महेंद्र सिंघल

विघटनकारी शक्तियों का एजेंडा विफल करने में प्रबुद्ध जनों की अहम भूमिका- महेंद्र सिंघलविघटनकारी शक्तियों का एजेंडा विफल करने में प्रबुद्ध जनों की अहम भूमिका- महेंद्र सिंघल

हिंदू समाज का कोई भी अंग कमजोर नहीं होना चाहिए। आजकल विघटनकारी शक्तियां समाज और राष्ट्र को तोड़ने का कुत्सित प्रयास कर रही हैं, जिसे विफल करने में प्रबुद्ध जनों की अहम भूमिका है। फिर चाहे वे हमारी संयुक्त परिवार की प्रणाली को समाप्त करने पर तुली हों या अंग्रेजों द्वारा लिखे गए झूठे इतिहास को सत्य साबित करने में या फिर उनका स्वदेशी वस्तुओं की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगाकर विदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देने का प्रयास हो, हमें ऐसी शक्तियों से सचेत रहते हुए उनके प्रयत्नों को निष्फल करना होगा- ये उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सागवाड़ा द्वारा आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख महेंद्र सिंघल ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों द्वारा लिखवाए गए मनगढ़ंत इतिहास के कारण बागड़ का प्रसिद्ध तीर्थ मानगढ़ धाम जो जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी बड़े नरसंहार का साक्षी रहा, लेकिन उसे राष्ट्रीय स्मारक अभी तक घोषित नहीं किया गया। हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की रही है, लेकिन आज प्रबुद्ध जनों को चिंतन करना चाहिए कि वसुधैव कुटुंबकम का भाव रखने वाले भारत का क्या हाल हुआ है? हमारी श्रेष्ठ परंपरा संयुक्त परिवार लगभग समाप्त सी हो गई है। इसे पुनर्जीवित करना समाज का कार्य है। आज दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई का स्नेह और वात्सल्य बच्चों को मिलता ही नहीं है, जिससे आज का बालक डिप्रेशन में आ जाता है और अपनी सूझबूझ खो बैठता है। स्वदेशी के प्रति गंभीरता हमारे देश प्रेम को दर्शाती है। हमें स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए ताकि भारत के सामने आर्थिक गुलामी का संकट न आए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामस्नेही संप्रदाय मेड़ता की साध्वी अनुराग ज्योति ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो सौभाग्यशाली होते हैं, उन्हें ही देश व समाज की सेवा करने का शुभ अवसर प्राप्त होता है। यह सौभाग्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के देव तुल्य स्वयंसेवकों को प्राप्त है। हमारी संस्कृति में आश्रम व्यवस्था है, जिससे हमारे जीवन के सारे उद्देश्य पूर्ण होते हैं। प्रत्येक भारतवासी को अपने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए यथा संभव यत्न प्रयत्न करते हुए इस देश और समाज को एक सूत्र में बांधने की योजना रचना करनी चाहिए, ताकि भारत पुनः विश्व गुरु के सिंहासन पर आरूढ़ होकर संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर सके।तभी हमारा ध्येय वाक्य वसुधैव कुटुंबकम चरितार्थ होगा।

प्रबुद्ध जन सम्मेलन में साध्वी वैराग्य ज्योति एवं संत उदाराम भी उपस्थित थे। काव्य गीत जयेश भाटिया द्वारा प्रस्तुत किया गया। अतिथि परिचय विभाग महाविद्यालय प्रमुख विष्णु बुनकर ने करवाया। वहीं कार्यक्रम का संचालन भारत विकास परिषद के गिरीश सोमपुरा किया। कल्याण मंत्र के पश्चात कार्यक्रम संपन्न हुआ।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *