इस वर्ष का डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा पुरस्कार कम्प्यूटर विशेषज्ञ डॉ. विजय पांडुरंग भटकर को
पुणे। विख्यात कम्प्यूटर विशेषज्ञ पद्म विभूषण डॉ. विजय पांडुरंग भटकर को इस वर्ष का ‘डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा पुरस्कार’ प्रदान किया जाएगा। बंगाली साहित्य क्षेत्र में नामांकित संस्था कोलकाता स्थित ‘श्री बड़ा बाजार कुमारसभा पुस्तकालय’ की ओर से यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। कोलकाता में सन् 1918 में स्थापित, बड़ा बाजार कुमारसभा ग्रंथालय आज देश के साहित्य और सांस्कृतिक क्षेत्र में एक सुविख्यात नाम है। यह केवल ग्रंथालय नहीं राष्ट्रीय विरासत को आगे ले जाने वाली एक शैक्षणिक और साहित्यिक संस्था है।
कोरोना के नियमों का पालन करते हुए निमंत्रित व्यक्तियों की उपस्थिति में पुणे की भांडारकर संस्था के सभागार में गुरुवार, 9 सितंबर को शाम 6 बजे डॉ. भटकर को सम्मानित किया जाएगा। इस अवसर पर समरसता गुरुकुलम के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. गिरीश प्रभुणे मुख्य अतिथि होंगे और उनके हाथों पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुणे महानगर संघचालक रवींद्र वंजारवाडकर कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर ऑनलाइन माध्यम से समारोह को संबोधित करेंगे। यह जानकारी संस्था के अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने दी।
हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान पुरस्कार ‘श्री बड़ा बाजार कुमारसभा पुस्तकालय’ संस्था ने सन् 1990 में शुरू किया था और यह पुरस्कार का 31वां वर्ष है। संस्था की ओर से पहला पुरस्कार डॉ. श्रीधर भास्कर वेर्णेकर को प्रदान किया गया था, जबकि पिछले वर्ष वरिष्ठ पत्रकार व लेखक हृदय नारायण दीक्षित को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
डॉ. विजय पांडुरंग भटकर का परिचय
पद्मश्री, पद्मभूषण और महाराष्ट्र भूषण जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित डॉ. विजय पांडुरंग भटकर का जन्म अकोला जिले के मूर्तिजापुर तहसील के मुरंबा गांव में 11 अक्तूबर, 1946 को हुआ। मूर्तीजापुर में विद्यालयीन शिक्षा पूरी करने के बाद नागपुर के विश्वेश्वरैय्या नेशनल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (वीएनआईटी) से इंजीनियरिंग में स्नातक की। आईआईटी मुंबई से एम. टेक पूर्ण करने के बाद उन्होंने वडोदरा स्थित सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा और आईआईटी दिल्ली से पीएच.डी प्राप्त की। शैक्षिक यात्रा समाप्त करने के बाद डॉ. विजय पांडुरंग भटकर विक्रम साराभाई की अध्यक्षता में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक्स कमिशन में 10 वर्ष कार्यरत थे। इसके बाद देश की विभिन्न संस्थाओं में अपना योगदान देते रहे। डॉ. भटकर ने 1993 में परम-800 और 1998 में परम-10,000 सुपर कॉम्प्युटर्स बनाए। विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से देश की वैज्ञानिक प्रगति के लिए उनका योगदान असाधारण है। उनके विशेष कार्य पर गौर करते हुए इस वर्ष का ‘डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा पुरस्कार’ घोषित किया है।