विश्व हिन्दू परिषद ऑफ अमेरिका की पूर्व महामन्त्री अंजली पंड्या का निधन
नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद ऑफ अमेरिका की पूर्व महामन्त्री, केंद्रीय प्रबंध समिति की पूर्व सदस्य, बहुत समय तक केंद्रीय विहिप और अमेरिका विहिप के बीच समन्वय का काम करने वाली अंजली बहन पंड्या का परलोक गमन हो गया। वे कैंसर रोग से ग्रस्त थीं और विगत जुलाई मास से गुजरात के अहमदाबाद नगर में ही अपोलो चिकित्सालय में चिकित्सकों की देखरेख में थीं।
पति वास्तुविद (Architect) थे। अमेरिका के बोस्टन में रहते थे। पुत्र के जन्म के एक या दो वर्ष पश्चात ही पति का देहावसान हो गया था। पति के परलोक गमन के पश्चात ही पति के सामाजिक कार्यों को पूरा करने का संकल्प अंजलि बहन ने ले लिया था। उनके पतिदेव भी अमेरिका में रहते हुए परिवार का पालन और सामाजिक जिम्मेदारियां दोनों निर्वाह करते थे। उन्हीं का कार्य अंजली पंड्या ने अपने ऊपर लिया था।
अमेरिका में एक विशाल सम्मेलन आयोजित किया गया था। सम्मेलन की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी अंजलि पंड्या ने स्वीकार की थी। वर्ष 2000 अगस्त के अन्तिम सप्ताह में न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र संघ सभागार में विश्व के सभी धर्मों के प्रतिनिधियों का वैश्विक सम्मेलन हुआ था। भारत से भी 300 सन्त महात्मा, उद्योगपति आदि प्रभावी व्यक्ति वहां उपस्थित थे। उनकी सेवा का दायित्व निर्वाह करने वाली टोली में अंजलि पंड्या प्रमुख थीं। वे सदैव सभी के सम्पर्क में रहती थीं।
सम्मेलन के पश्चात न्यूजर्सी में विश्व हिंदू परिषद अमेरिका द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सभी सन्त महात्मा व कार्यकर्ताओं के मध्य स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का उद्बोधन था। इस अवसर पर सभी सन्तों के लिये परिवारों में निवास की व्यवस्था अंजलि पंड्या ने करायी थी। नरेंद्र मोदी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। परिषद के सभी कार्यक्रमों में वे उपस्थित रहती थीं। श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ के सभी आयोजनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रहती थी। सन् 2007 में प्रयागराज में संगम तट पर विश्व हिंदू परिषद की ओर से तीसरा वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया गया था। अपेक्षा थी कि इस सम्मेलन में भारत के बाहर के देशों से 15000 प्रतिनिधि भागीदारी करेंगे, यह सम्मेलन माघ के महीने में था। संसार के अन्य देशों से आने वाले 15000 प्रतिनिधियों के लिये सुख सुविधाओं के निर्माण करने का दायित्व अंजलि पंड्या ने निर्वाह किया था। अंजलि बहन कभी निराश नहीं होती थी, सदैव प्रसन्न रहती थी।
उनकी सद्गति के लिए श्री परमेश्वर के चरणों में मस्तक रख कर प्रार्थना करता हूं। लंबे काल तक उनके संपर्क में रहे, उनसे जुड़े रहे मित्रों, संबंधियों और कार्यकर्ताओं को उनके देहावसान से कष्ट हुआ है, मुझे भी धक्का लगा, परमात्मा सभी को मानसिक शक्ति प्रदान करें।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।
चंपत राय, महासचिव श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र