मनोरंजन के नाम पर ड्रग्स लेने का ढंग सिखा रही हैं वेबसीरीज

मनोरंजन के नाम पर ड्रग्स लेने का ढंग सिखा रही हैं वेबसीरीज

मनीष गोधा

मनोरंजन के नाम पर ड्रग्स लेने का ढंग सिखा रही हैं वेबसीरीज

जयपुर। कोविड महामारी के दौरान देश में जब से सिनेमा हाॅल बंद हुए हैं, ओटीटी प्लेटफॉर्म पर वेबसीरीज की बाढ़ सी आ गई है। मनोरंजन का यह नया साधन लोगों, खासकर युवाओं में जबर्दस्त लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इन वेबसीरीज में बड़े पैमाने पर हिंसा और अश्लीलता दिखाई जा रही है। इन पर किसी तरह का सेंसर न होने के कारण इन्हें बनाने वाले लोग सिगरेट और शराब के साथ ही अब ड्रग्स का प्रयोग भी खुल कर दिखा रहे हैं। ड्रग्स लेने के तरीकों को इन वेबसीरीज में इतने खुले और ऐसे अंदाज में प्रस्तुत किया जाता है कि जैसे यह बहुत ही रोचक काम हो। चिंता की बात यही है कि इन्हें देखने वाला सबसे बड़ा दर्शक वर्ग किशोर और युवा है।

फिल्मों ने हमारे समाज, रहन-सहन, पहनावे और जीवनशैली को हमेशा से प्रभावित किया है। फिल्म अभिनेताओं का फैशन पूरे समाज का फैशन बन जाता है। उनके पहने जाने वाले कपड़े, उनका हेयर स्टाइल, उनके जूते, उनके चलने का अंदाज, बात करने का अंदाज हर चीज को हमारे युवाओं ने पीढ़ी दर पीढ़ी काॅपी किया है। फिल्मों में शराब और सिगरेट जैसी नशे की चीजों को काफी लुभावने अंदाज में प्रस्तुत किया जाता रहा है। इनसे प्रभावित होकर ना जाने कितने लोगों ने सिगरेट पीना शुरू कर दिया और पूरी जिंदगी अपने फेफड़े फूंकते रहे। ना जाने कितने लोगों ने गम भुलाने या खुशी मनाने के लिए फिल्मों में पी जाने वाली शराब की देखा देखी अपनी जिंदगी के दुख और खुशियां भी शराब के नाम करने शुरू कर दिए।

फिल्मों में शराब और सिगरेट का वास्ता आमतौर पर फिल्म के खल चरित्रों के साथ ही देखने में आता रहा है। फिल्म के नायक और नायिका आमतौर पर ऐसी बुराइयों से दूर दिखाए जाते रहे हैं। सेंसर के नियम भी सख्त रहे हैं और फिल्म निर्माता और निर्देशक फिल्मों में ऐसे किसी भी तरह के अतिरेक के प्रदर्शन से बचते रहे हैं। इसके अलावा जनहित याचिकाओं पर हुए कोर्ट के फैसलों के बाद शराब या तम्बाकू के दुष्प्रभावों के बारे में फिल्म से पहले तथा ऐसे दृश्यों के समय पर्दे पर चेतावनी दिखाने जैसे कदम भी उठाए गए हैं।

लेकिन सस्ते इंटरनेट की उपलब्धता के बाद जब से ओवर द टाॅप यानी ओटीटी प्लेटफार्म पर वेबसीरीज का चलन शुरू हुआ है, सारी वर्जनाएं टूटती जा रही हैं। ओटीटी कंटेंट यानी इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध होने वाली फिल्में या वीडियो, जिसके लिए आपको किसी तरह के केबल या डीटीएच कनेक्शन की जरूरत नहीं है, बस आपके पास इंटरनेट और इन चैनलों का सब्सक्रिप्शन होना चाहिए। इन वेबसीरीज में दिखाई जा रही हिंसा और अश्लीलता वीभत्सता की हदें पार कर रही है। संवादों में अपशब्दों का जबर्दस्त प्रयोग हो रहा है और वो अनेक प्रकार की चीजें और बातें दिखाई जा रही हैं, जिनसे अब तक हमारी फिल्में या टेलिविजन पर आने वाले धारावाहिक बचते रहे हैं।

लेकिन इन वेबसीरीज में अहम किरदारों द्वारा ड्रग्स या नशीली दवाएं लेने वाले दृश्य आम हैं। इनमें ड्रग्स लेने को बहुत ही “प्रोवोकिंग“ ढंग से दिखाया जाता है। इन किरदारों में स्त्री-पुरुष का भी कोई भेद नहीं है। ऐसे दृश्यों का कोई “जस्टिफिकेशन“ भी नहीं दिया जाता कि आखिर यह दृश्य दिखाया जा रहा है तो क्यों दिखाया जा रहा है। ऐसे दृश्य दिखाते समय फिल्मों की तरह इनके दुष्प्रभावों के बारे में कोई लिखित चेतावनी तक पर्दे पर नहीं दिखाई जाती।

यह सब हमारी युवा पीढ़ी के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है, क्योंकि आज यह कंटेंट सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। लाॅकडाउन के कारण बिना काम घर में कैद लोगों ने मनोरंजन के लिए ओटीटी प्लेटफार्म का रुख किया और अचानक इस पूरे बाजार में जबर्दस्त तेजी आ गई। देश में अभी 32 से अधिक आॅनलाइन कंटेंट और वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म हैं। ग्लोबल मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अनुसार 2023 तक इनका बाजार पांच बिलियन डाॅलर तक पहुंचने की सम्भावना है। कोविड के दौरान हुए विभिन्न सर्वे बताते हैं कि इस दौरान लोगों का ओटीटी कंटेंट देखने का समय पांच गुना तक बढ़ गया। यह कंटेंट सिर्फ शहरों में ही नहीं गांवों में भी जमकर देखा जा रहा है। यानी अब यह कंटेंट घर-घर में पहुंच रहा है और हर मोबाइल पर किसी ना किसी माध्यम से उपलब्ध है।

वेबसीरीज का युवाओं पर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है, इसे लेकर कई तरह के अध्ययन हो चुके हैं जो इंटरनेट पर भी उपलब्ध हैं। ये अध्ययन बताते हैं कि वेबसीरीज युवाओं में आक्रामकता बढ़ा रही हैं और वे धूम्रपान, शराब का सेवन जैसी आदतों के शिकार हो रहे हैं। वैसे भी फिल्में देख कर यदि कोई युवा सिगरेट पीना सीख सकता है तो ड्रग्स लेना भी सीख सकता है। मनोरंजन के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है, उस पर अब कोई ना कोई नियंत्रण तो जरूरी हो गया है। ड्रग्स जैसी खतरनाक चीजों के प्रयोग के दृश्यों पर रोक लगनी ही चाहिए। इस बारे में सरकार को तुरंत कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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