श्राद्ध पक्ष में क्यों खिलाते हैं कौओं को भोजन..?
बरगद और पीपल के वृक्षों को देववृक्ष माना जाता है। क्योंकि वे हमें प्राणवायु अर्थात आॅक्सीजन और रोगमुक्त शरीर के लिए औषधियां देते हैं। इन सब के लिए इन पेड़ों का अस्तित्व बनाए रखना है तो कौओं को श्राद्ध पक्ष में खीर-पूड़ी खिलाने होंगे। श्राद्ध पक्ष में पंचबति अर्थात पांच जीवों को आहार कराने की परंपरा है। इनमें एक काल बलि यानी कौवों को भोजन कराने की परंपरा है। इन दोनों वृक्षों के फल कौवे खाते हैं। इनके उदर में ही इन फलों के बीज अंकुरित होने की स्थिति को प्राप्त कर लेते हैं। कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां-वहां पीपल और बरगद उग आते हैं। इसीलिए ये वृक्ष पुराने मकानों की दीवारों पर भी उगते देखने में आ जाते हैं। मादा कौवा सावन-भादों यानी अगस्त-सितंबर में अंडे देती है। इन्हीं माहों में श्राद्ध पक्ष पड़ता है। इसीलिए ऋषि-मुनियों ने कौवों को पौष्टिक आहार खिलाने की परंपरा श्राद्ध पक्ष से जोड़ दी, जो आज भी प्रचलन में है। दरअसल इस मान्यता की पृष्ठभूमि में बरगद और पीपल वृक्षों की सुरक्षा जुड़ी है, जिससे मनुष्य को 24 घंटे आॅक्सीजन मिलती रहे।