श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र यूनेस्को की स्मृति विश्व रजिस्टर में शामिल, प्रधानमंत्री ने बताया इसे गर्व का क्षण

श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र यूनेस्को की स्मृति विश्व रजिस्टर में शामिल, प्रधानमंत्री ने बताया इसे गर्व का क्षण

श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र यूनेस्को की स्मृति विश्व रजिस्टर में शामिल, प्रधानमंत्री ने बताया इसे गर्व का क्षणश्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र यूनेस्को की स्मृति विश्व रजिस्टर में शामिल, प्रधानमंत्री ने बताया इसे गर्व का क्षण

नई दिल्ली, 18 अप्रैल 2025। विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर भारत की दो महान सांस्कृतिक धरोहरों – श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के “स्मृति विश्व रजिस्टर” (Memory of the World Register) में सम्मिलित किया गया है। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिससे अब इस रजिस्टर में भारत की कुल 14 धरोहरें सम्मिलित हो गई हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा, “यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मान्यता मिलना हमारे लिए अत्यंत सम्मान की बात है।”

श्रीमद्भगवद गीताः आध्यात्मिक और दार्शनिक धरोहर

श्रीमद्भगवद गीता, महाभारत के भीष्म पर्व का एक भाग है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म, योग और आत्मा के विषय में उपदेश दिया था। यह ग्रंथ न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में आध्यात्मिक और दार्शनिक मार्गदर्शन का स्रोत माना जाता है।

नाट्यशास्त्रः भारतीय चकला का मूल ग्रंथ

नाट्यशास्त्र, भरत मुनि द्वारा रचित एक प्राचीन ग्रंथ है, जिसे भारतीय नाट्यकला, संगीत, नृत्य और रंगमंच का आधारभूत ग्रंथ माना जाता है। इसमें रस सिद्धांत, अभिनय, मंच सज्जा, संगीत और नृत्य के विविध पहलुओं का विस्तृत वर्णन है। भरत मुनि ने इसे पंचम वेद की संज्ञा दी है, जो दर्शकों के मनोरंजन और शिक्षण दोनों का माध्यम है। इसमें 6000 से अधिक श्लोकों के माध्यम से अभिनय, नृत्य, संगीत, रस सिद्धांत, मंच-शिल्प, वेशभूषा आदि का विस्तार से वर्णन है। यह संपूर्ण भारतीय रंगमंच और प्रदर्शन कलाओं का आधारभूत ग्रंथ माना जाता है।

क्या है स्मृति विश्व रजिस्टर?

यूनेस्को का “Memory of the World Register” 1992 में शुरू की गई एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य विश्व की सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ी धरोहरों को संरक्षित करना है, जिनमें ग्रंथ, पांडुलिपियाँ, अभिलेखागार, फ़िल्में, नक्शे और ऑडियो-विजुअल सामग्री सम्मिलित हैं।

भारत की अब तक यूनेस्को के ‘Memory of the World Register’ में सम्मिलित कुल 14 धरोहरें

1. श्रीमद्भगवद गीता (2025)

2. नाट्यशास्त्र (2025)

3. गुरु ग्रंथ साहिब की मूल पांडुलिपि (2023)

4. गोवा की पुर्तगाली-कालीन पुरानी न्यायिक अभिलेख फाइलें (2021)

5. मालवा की चित्रित पांडुलिपियाँ (2019)

6.अभिनवगुप्त की तंत्रसार ग्रंथावली (2018)

7. पंजाबी सूफी कवि बुल्ले शाह के लेख (2016)

8. महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका दस्तावेज़ (2015)

9.रामचरितमानस की पांडुलिपि (2014)

10. ताम्रपत्र अभिलेख – अशोक के शिलालेख (2013)

11.इकबाल के दस्तावेज़ (भारतीय संग्रहालय, 2011)

12.काशी की पांडुलिपि संग्रहालय की ताड़पत्र पांडुलिपियाँ (2011)

13. ऋग्वेद की बिर्ला पांडुलिपियाँ (2007)

14. तंजावुर के सरस्वती महल पुस्तकालय की पांडुलिपियाँ (2007)

श्रीमद्भगवद गीता और नाट्यशास्त्र का यूनेस्को के स्मृति विश्व रजिस्टर में होना भारत की सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता का प्रतीक है। यह उपलब्धि न केवल भारतवासियों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि विश्वभर में भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता को भी रेखांकित करती है।

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