संघ ने अपने वरिष्ठ पदाधिकारी पर लगे आरोपों को बताया अनर्गल, कहा करेंगे कानून सम्मत कार्यवाही
राजस्थान क्षेत्र कार्यवाह हनुमान सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर किया आरोपों का खंडन
जयपुर, 01 जुलाई। राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज प्रकरण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम के नाम का उल्लेख होने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कानून सम्मत कार्यवाही करने के सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है। संघ ने साफ किया कि इस मामले में किसी प्रकार की राशि का कोई आदान-प्रदान नहीं हुआ है, इसलिए इसे भ्रष्टाचार से जोड़कर अनर्गल आरोप लगाना समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति का चरित्र हनन है। वैचारिक द्वेष एवं दुर्भावना से लगाए जा रहे इन झूठे आरोपों एवं लांछनों का संघ ने खंडन किया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान क्षेत्र कार्यवाह हनुमान सिंह राठौड़ ने गुरुवार को बताया कि इस मामले में बीवीजी इंडिया लिमिटेड कंपनी के प्रतिनिधि क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम के पास प्रताप गौरव केंद्र उदयपुर में अपने सीएसआर फण्ड से सहयोग करने का प्रस्ताव लेकर आए थे। निम्बाराम ने उनसे आग्रह किया था कि वे इस केंद्र का दौरा करें और वहां की आवश्यकताओं को समझकर यदि उचित लगे तो इसमें सहयोग देने का तय करें। प्रताप गौरव केंद्र एक राष्ट्रीय तीर्थ है तथा इसका महत्व इसे देखने पर ही ध्यान में आता है कि देश का गौरव बढ़ाने के लिए कितनी बड़ी परियोजना पर समाज बंधु काम कर रहे हैं। कम्पनी के प्रतिनिधियों से इस केंद्र पर पहुंच इसे देखने का आग्रह किया था। कंपनी के प्रतिनिधियों ने दौरे की तिथि तय की, किन्तु वहां पर गए ही नहीं। ऐसे में सीएसआर फण्ड से किसी राशि या अन्य किसी भी रूप में सहायता का प्रश्न ही नहीं उठता है।
उन्होंने बताया कि 20 अप्रैल को निम्बाराम से कंपनी के प्रतिनिधियों की भेंट या बातचीत हुई, वह सामान्य सामाजिक शिष्टाचार के नाते ही थी। क्षेत्र प्रचारक होने के कारण निम्बाराम से बहुत से लोग स्वाभाविक मिलने आते हैं। उनकी इस सामान्य शिष्टाचार भेंट को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उनकी भूमिका से जोड़ना निंदनीय है। उन्हें जोड़कर राजनीतिक कारणों से उसके अन्य अर्थ लगाए जा रहे हैं। ये तथ्यों के विपरीत हैं और सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए जारी किए गए हैं। कानून का पालन करने वाले एक जिम्मेदार नागरिक के नाते निम्बाराम हर तरह की जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं। निहित स्वार्थी तत्वों ने तथ्यों को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है, जबकि इस मामले में किसी प्रकार की राशि का कोई आदान-प्रदान नहीं हुआ है, इसलिए इसे भ्रष्टाचार से जोड़कर अनर्गल आरोप लगाना समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति के चरित्र हनन के समान है। वैचारिक द्वेष एवं दुर्भावना से लगाए जा रहे इन आरोपों एवं लांछनों का हम खंडन करते हैं। कानून सम्मत कार्यवाही करने के सभी प्रकार के विकल्प हमारे सामने खुले हुए हैं।