सत्यमेव जयते तथा नेपाल-भारत सम्बंध

                              -प्रीति शर्मा


भारत को कौटिल्य के मंडल सिद्धांत के अनुरूप अपने पड़ोसी राज्यों के मध्य विश्वास का वातावरण निर्मित कर विजिगिशु भारत का परिचय कराना होगा, अन्यथा चीन भारत को घेरने की अपनी कुटिल नीतियों में निश्चय ही सफल हो जाएगा।

सार्क देशों की सफल एवं सद्भाव पूर्ण बैठक के कुछ समय बाद ही भारत और नेपाल के संबंधों में कड़वाहट का आधार बना नेपाल द्वारा हाल ही प्रस्तावित नया नक्शा गंभीर क्षेत्रीय कटुता का प्रयोजन सिद्ध करने के लिए लाया गया प्रतीत होता है। नेपाल ने हाल ही में प्रस्तुत नए नक्शे में भारतीय क्षेत्र के कालापानी, लिंपियाधूरा और लिपुलेख को नेपाली संप्रभु भूमि का भाग बताया, जिसे भारतीय विदेश मंत्रालय ने कृत्रिम और अस्वीकार्य माना।

नेपाल द्वारा इन क्षेत्रों को अवैधानिक रूप से अपने मानचित्र में दर्शाने का आधार 1816 की सुगाली संधि को बताते हुए अपने इस कृत्य को कूटनीतिक रूप से सुदृढ़ता प्रदान करने का प्रयास किया गया है। नेपाल के प्रधानमंत्री द्वारा उत्तरदायित्वहीन उद्बोधन के अधीन भारत को अशोक स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते में मात्र शेर की विजय अर्थात शक्ति की विजय का समर्थक बताया गया तथा नेपाल को सत्य का वास्तविक समर्थक देश बताया। नेपाल अपने इस कृत्य के पीछे भारत द्वारा 2019 में प्रस्तुत मानचित्र को मानता है जिसमें भारत ने कालापानी एवं लिपुलेख को भारतीय संप्रभु क्षेत्र का भाग दर्शाया।

भारत को अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने वाला देश बताते हुए नेपाल ने मई के प्रथम सप्ताह में भारत द्वारा किए गए दार्चुला – लिपुलेख लिंक रोड के उद्घाटन का भी विरोध किया, जो वास्तव में मानसरोवर तीर्थ यात्रियों हेतु कम दूरी वाला मार्ग निर्मित किया गया था। उत्तरोत्तर कटुता पूर्ण वातावरण निर्मित करते हुए नेपाल ने भारत को हिमालय क्षेत्र में कोरोना महामारी के प्रसार के लिए उत्तरदायी माना।

यह विडंबना ही प्रतीत होती है कि भारत जैसा सर्व समावेशी राष्ट्र कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों में सार्क बैठक द्वारा आर्थिक सहायता का प्रस्ताव रखकर शांति एवं सौहार्द पूर्ण वातावरण का निर्माण करता है तथापि नेपाल भारत जैसे सौहार्द्र एवं शांति का वातावरण निर्मित करने वाले तथा दक्षिण एशियाई देशों के बीच अग्रज की भूमिका निभाने वाले देश के प्रति द्वेष पूर्ण व्यवहार करता है। यह भारतीय विदेश नीति के लिए चिंता का विषय है। भारत के लिए वैश्विक स्तर पर सुदृढ़ भूमिका का निर्वहन करने के साथ-साथ अपने पड़ोसियों को विश्वसनीय एवं मित्रवत बनाना  अपरिहार्य है। सदैव सत्य की विजय और अहिंसा के पवित्र सिद्धांतों में आस्था रखने वाली भारतीय परंपरा का निर्वहन भारतीय विदेश नीति की सकारात्मकता का परिचायक है। इसी के कारण समस्त विश्व आज भारत के समर्थन में खड़ा है। अतः भारत को कौटिल्य के मंडल सिद्धांत के अनुरूप अपने पड़ोसी राज्यों के मध्य विश्वास का वातावरण निर्मित कर विजिगिशु भारत का परिचय कराना होगा, अन्यथा चीन भारत को घेरने की अपनी कुटिल नीतियों में निश्चय ही सफल हो जाएगा।

अंततः भारत पर वर्तमान महामारी पर विजय प्राप्त करने, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को संतुलित बनाए रखने तथा सत्यमेव जयते की प्रतिष्ठा की रक्षा का पवित्र दायित्व है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)

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