सनातन संस्कृति के अनन्त और असीम शब्दकोश में सर्वाधिक पूजनीय शब्द गुरु- निम्बाराम
सनातन संस्कृति के अनन्त और असीम शब्दकोश में सर्वाधिक पूजनीय शब्द गुरु- निम्बाराम
शाहपुरा, 25 जुलाई। श्री प्रतापसिंह बारहठ राजकीय महाविद्यालय, शाहपुरा में बुधवार को अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के बैनर तले गुरु वंदन एवं एक पेड़ मां के नाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत को भारतीय मान्यताओं के आधार पर समझना होगा। हमें प्राचीन भारतीय सनातन परम्पराओं पर गर्व करना होगा तथा वसुधैवकुटुंबकम् का भाव रखते हुए राष्ट्रधर्म का पालन करना होगा। हमें अपनी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर तक्षशिला, नालन्दा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों का पुनरुत्थान करना होगा। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति के अनन्त और असीम शब्दकोश में सर्वाधिक पूजनीय शब्द गुरु है। शान्तिपर्व में लिखा है कि ‘ऋषयश्च हि देवाश्च प्रीयन्ते पितृभिः सह। पूज्यमानेषु गुरुषु तस्मात् पूज्यतमो गुरुः॥’ अर्थात गुरु की पूजा करने पर देवता, पितृ और ऋषियों सहित सब प्रसन्न होते हैं। अतः गुरु परम पूजनीय हैं, उनका पूजन करना चाहिए।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के जिला अध्यक्ष डॉ. पुष्करराज मीणा ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के ध्येय वाक्य ‘राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक, शिक्षक के हित में समाज’ की व्याख्या प्रस्तुत की। इस अवसर पर शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के प्रदेश सचिव कश्मीर भट्ट, जिला सचिव प्रवीण टांक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक गोपाल और विद्यार्थी परिषद के पूर्व कार्यकर्ता समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. तोरन सिंह ने किया। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के जिला प्रचार प्रमुख प्रो. धर्मनारायण वैष्णव ने सभी का आभार व्यक्त किया।