भेदभाव को त्याग कर समरसता के लिए कार्य करें – डॉ. मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने परिवार मिलन कार्यक्रम में सहभागिता की। कार्यक्रम में संभाजी नगर शहर के स्वयंसेवकों, कार्यकर्ताओं के साथ ही देवगिरी प्रांत के प्रांत स्तर के कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।
सरसंघचालक ने उपस्थित परिवारों के साथ समरसता, सेवा, पर्यावरण तथा गो-संवर्धन आदि विषयों पर चर्चा की और सभी सदस्यों का अनुभव पूछे। बाल संस्कार के माध्यम से हो रहे कार्य, प्लास्टिक बंदी, जल संरक्षण, पौधारोपण, तथा स्वच्छता के साथ ही गो-संवर्धन से जुड़े अनुभव भी साझा किये।
डॉ. मोहन भागवत ने समाज में बंधुभाव बढ़े, संगठित समाज, जात-पात का भेद समाप्त करने, सामाजिक समरसता बढ़ाने आदि विषयों पर चर्चा के साथ ही स्वयंसेवकों व परिवार के सदस्यों का मार्गदर्शन भी किया।
उन्होंने कहा कि समरसता, पर्यावरण और सेवा कार्य में अपने परिवार की सक्रियता बनी रहनी चाहिए। हमारी जीवन शैली पर्यावरण का समर्थन एवं संरक्षण करने वाली है। हमारे पूर्वजों का पर्यावरण के लिए ज्ञान तो और भी विशाल था। दीपावली और अन्य त्योहारों में हमारे पूर्वज तिल एवं अलसी (जवस) के तेल से दिये जलाते थे, इससे निकलने वाली हवा वातावरण को शुद्ध एवं पवित्र करती है। उन्होंने कहा कि गो-संवर्धन के माध्यम से गोमाता के शुद्ध देसी घी का उपयोग करें और कृषि में गोमूत्र तथा गोबर का उपयोग करें।
समरसता विषय पर कहा कि सारी मानव-जाति एक ही है, यही हिन्दू धर्म का स्वभाव है। भेदभाव को त्याग कर समाज एक बने, इसके लिए हमें कार्य करना होगा। यह कार्य करने की जिम्मेदारी सभी परिवारों की है। समाज की सभी जातियों के परिवारों के यहां हमारा आना-जाना लगा रहे, जिससे हम सब में पारिवारिक संबंध बनें। समरसता का व्यवहार हमें और हमारे परिवार के सभी सदस्यों को अपनाना चाहिए।
उन्होंने अपने परिवार में भोजन, भजन, भवन, भ्रमण, भाषा तथा भूषा के माध्यम से कुटुंब संस्कारों के विकास पर मार्गदर्शन किया।
सरसंघचालक के साथ देवगिरी प्रांत संघचालक अनिल भालेराव, संभाजीनगर के संघचालक कन्हैयालाल भी मंच पर उपस्थित थे।